भाजपा के खिलाफ लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सभी विपक्षी पार्टियां लामबंद हो रही हैं। एक तरफ विपक्षी दल जहां एकजुट होकर भाजपा को हराने को लेकर मंथन कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ एनसीपी में हुई फूट विपक्षी एकता को कमजोर कर सकती है। एनसीपी में फूट के बाद शरद पवार के भतीजे भाजपा व एकनाथ शिंदे की शिवसेना गुट के साथ जा चुके हैं। बीते दिनों पटना में हुई विपक्षी दलों की हुई बैठक में शरद पवार भी शामिल होने पहुंचे थे। लेकिन शरद पवार अपनी पार्टी को संभाल पाने में विफल साबित हुए है। पिछले एक महीने में विपक्षी एकता को कई बड़े झटके लगे हैं।
अलग हो गए जीतनराम मांझी
बिहार के पटना में विपक्षी दलों की बैठक का आयोजन 23 जून को किया गया था। लेकिन उससे पहले विपक्षी खेमे से जीतनराम मांझी अलग हो गए और एनडीए के साथ चल दिए। विपक्षी दलों की इस बैठक में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच विवाद देखने को मिला था। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार के नागरिक संहिता को सशर्त समर्थन दिया। यह विपक्ष के लिए एक बड़ा झटका था। इसके बाद तीसरा झटका शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने दिया। क्योंकि अजीत पवार भाजपा-शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं।
अरविंद केजरीवाल का विवाद
दिल्ली में ग्रेड ए के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाया गया था। केंद्र सरकार के इस अध्यादेश का अरविंद केजरीवाल और आप विरोध कर रहे थे। ऐसे में विपक्ष की पटना में हुई बैठक में अरविंद केजरीवाल और आप के बीच विवाद देखने को मिला। इस बैठक के खत्म होने के बाद आरविंद केजरीवाल कही नहीं दिखे। इसके बाद आप के द्वारा कहा गया कि कांग्रेस अध्यादेश को लेकर समर्थन करें या फिर अपना मत स्पष्ट करें। हालांकि इसपर केजरीवाल ने यह भी कहा था कि अगर कांग्रेस अपना रुख साफ नहीं करती है तो वह विपक्षी दलों की आगामी बैठक में भाग नहीं लेंगे।
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