लद्दाख में चीन से निपटने के लिए 'DDLJ' की रणनीति अपना रही मोदी सरकार, कांग्रेस ने कुछ ऐसे साधा निशाना
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान जारी करके मोदी सरकार पर नए तरीके से हमला बोला है।
नई दिल्ली: कांग्रेस की आज ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का समापन हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी भी अपने नए तेवर और कलेवर दिखाने की भरपूर कोशिश कर रही है। सोमवार को कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान जारी करके मोदी सरकार पर नए तरीके से हमला बोला है। जयराम रमेश ने कहा कि लद्दाख में चीनी घुसपैठ से निपटने के लिए मोदी सरकार की रणनीति 'DDLJ'-डिनायल, डिस्ट्रेक्ट, लाई और जस्टिफाई पर आधारित है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि कोई भी अस्पष्टता ये नहीं छिपा सकती है कि मोदी सरकार ने दशकों में भारत के सबसे बड़े सीमा विवाद को कवर करने की कोशिश की, जो कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लेकर प्रधानमंत्री के भोलेपन के बाद हुआ है।
65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट तक भारत ने पहुंच खोई
रमेश ने अपने बयान में लिखा कि मई 2020 से, लद्दाख में चीनी घुसपैठ से निपटने के लिए मोदी सरकार की पसंदीदा रणनीति को डीडीएलजे के साथ अभिव्यक्त किया गया है - इंकार करो, ध्यान भटकाओ, झूठ बोलो, न्यायोचित ठहराओ। विदेश मंत्री एस जयशंकर की कांग्रेस पार्टी पर हमला करने वाली हालिया टिप्पणी मोदी सरकार की विफल चीन नीति से ध्यान हटाने की नई कोशिश है। कांग्रेस ने अपने बयान में लिखा कि सबसे ताजा खुलासा यह है कि मई 2020 के बाद से भारत ने लद्दाख में 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट तक अपनी पहुंच खो दी है।
इस बयान में आगे लिखा, "सच्चाई यह है कि 1962 और 2020 के बीच कोई तुलना नहीं है। 1962, जब भारत अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए चीन के साथ युद्ध में उतरा था, और 2020 जिसके बाद भारत ने इनकार के साथ चीनी आक्रामकता को स्वीकार कर लिया, जिसके बाद 'डिसइंगेजमेंट' हुआ, जिसमें भारत ने हजारों वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र तक अपनी पहुंच खो दी।
सरकार को विपक्ष को भरोसे में लेना चाहिए
जयराम रमेश ने लिखा,"2017 में चीनी राजदूत से मिलने के लिए राहुल गांधी पर विदेश मंत्री जयशंकर का बयान एक विडंबना ही है कि ये ऐसे व्यक्ति से आ रहा है जो ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका में राजदूत के रूप में संभवतः प्रमुख रिपब्लिकन से मिला था। क्या विपक्षी नेता व्यापार, निवेश और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण देशों के राजनयिकों से मिलने के हकदार नहीं हैं? बल्कि मोदी सरकार को शुरू से ही सच बताना चाहिए था और संसदीय स्थायी समितियों में चीन संकट पर चर्चा करके और संसद में इस मुद्दे पर बहस करके विपक्ष को भरोसे में लेना चाहिए था।"
"विदेश मंत्री ने भी स्वीकार किया कि..."
बयान में लिखा है कि यह असाधारण है कि विदेश मंत्री जयशंकर ने कई मौकों पर स्वीकार किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच असामान्य रूप से लगातार संपर्क और पीएम के शेखी बघारने के बावजूद चीन LAC पर आक्रामक क्यों हो गया है, इसका उन्हें कोई अंदाज़ा नहीं है। इसके बाद भी प्रधानमंत्री का दावा है कि उनका राष्ट्रपति शी के साथ एक विशेष 'प्लस वन' संबंध हैं।
भारत के सबसे बड़े सीमा विवाद को छिपाने की कोशिश
कोई भी भ्रम इस तथ्य को नहीं छिपा सकता है कि मोदी सरकार ने दशकों में भारत के सबसे बड़े सीमा विवाद को छिपाने की कोशिश की है, जो कि पीएम मोदी द्वारा राष्ट्रपति शी को लुभाने के बाद हुआ था। बयान में आगे लिखा है, "हमारा सुझाव है कि विदेश मंत्री जयशंकर और सरकार चीनी सैनिकों को डेपसांग और डेमचोक से बाहर निकालने की कोशिश में अधिक समय दें और अपनी अक्षमता के लिए विपक्ष को दोष देने पर कम समय दें।"
ये भी पढ़ें-
सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस ने फिर मांगे सबूत, राशिद अल्वी बोले- वीडियो छिपाने की क्या जरूरत