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Hindi News भारत राजनीति मोदी सरकार शुरू से ही जन अधिकारों को खत्म करने की कोशिश करती आ रही है: राहुल गांधी

मोदी सरकार शुरू से ही जन अधिकारों को खत्म करने की कोशिश करती आ रही है: राहुल गांधी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, हमें ये भी मानना होगा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में, हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है।

Rahul Gandhi, Rahul Gandhi Modi Government, Rahul Gandhi Narendra Modi, Narendra Modi- India TV Hindi Image Source : PTI राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी सरकार शुरू से ही जन अधिकारों को खत्म करने की कोशिश करती आ रही है।

Highlights

  • राहुल गांधी ने ट्वीट किया, क्या इन अधिकारों के बिना आप भारत की कल्पना तक कर सकते हैं?
  • राहुल गांधी ने सवाल किया, इनमें से किस अधिकार से प्रधानमंत्री को आपत्ति है? और क्यों?

नयी दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार शुरू से ही जन अधिकारों को खत्म करने की कोशिश करती आ रही है। राहुल गांधी ने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक हालिया बयान की पृष्ठभूमि में की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘आजादी के बाद के 75 वर्षों में हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है। ये बुराई है, अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि न रखना। हमने सिर्फ अधिकारों की बात की, अधिकारों के लिए झगड़ते, जूझते, समय खपाते रहे।’

‘क्या इन अधिकारों के बिना आप भारत की कल्पना तक कर सकते हैं’
प्रधानमंत्री ने 20 जनवरी को राजस्थान के माउंट आबू स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान द्वारा आयोजित ‘आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए यह बात कही थी। इसी की पृष्ठभूमि में राहुल गांधी ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘जन अधिकारों के बिना दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का क्या मतलब? मोदी सरकार शुरू से जन अधिकारों को ख़त्म करने की कोशिश करती आ रही है। मौलिक अधिकारों समेत क्या इन अधिकारों के बिना आप भारत की कल्पना तक कर सकते हैं?’


‘जनता को सवाल करने और जवाब पाने का अधिकार है’
राहुल गांधी ने कहा, ‘भोजन का अधिकार- ताकि किसी को भूख का सामना ना करना पड़े। शिक्षा का अधिकार- आज बच्चा-बच्चा स्कूल जाता है, एक बेहतर कल बनाता है अपने लिए और देश के लिए। रोजगार का अधिकार- बीजेपी के कट्टर विरोध के बावजूद यूपीए ने जनता को रोजगार की सुरक्षा दी। कोविड के मुश्किल समय में भी इससे देशवासियों को सहारा मिला। सूचना का अधिकार- लोकतंत्र का दूसरा नाम पारदर्शिता है। जनता को सवाल करने और जवाब पाने का अधिकार है। सूचना का अधिकार भी यूपीए ने दिया।’

‘इनमें से किस अधिकार से प्रधानमंत्री को आपत्ति है?’
राहुल गांधी ने सवाल किया, ‘इनमें से किस अधिकार से प्रधानमंत्री को आपत्ति है? और क्यों?’ प्रधानमंत्री मोदी ने गत 20 जनवरी को कहा था, ‘हमें ये भी मानना होगा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में, हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है। ये बुराई है, अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि ना रखना। बीते 75 वर्षों में हमने सिर्फ अधिकारों की बात की, अधिकारों के लिए झगड़ते, जूझते, समय खपाते रहे।’

‘इस बात ने भारत को कमजोर रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई’
मोदी ने यह भी कहा था, ‘अधिकार की बात, कुछ हद तक, कुछ समय के लिए, किसी एक परिस्थिति में सही हो सकती है, लेकिन अपने कर्तव्यों को पूरी तरह भूल जाना, इस बात ने भारत को कमजोर रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।' प्रधानमंत्री ने सभी का आह्वान किया था, ‘हम सभी को, देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया। हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा।’

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