देउबा ने मोदी से किया सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए तंत्र स्थापित करने का आग्रह
पीएम मोदी ने कहा कि इस बात पर चर्चा हुई कि भारत और नेपाल के बीच खुली सीमाओं का अवांछित तत्वों द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाए।
Highlights
- भारत ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच सामान्य समझ है कि इसे एक जिम्मेदार तरीके से हल करना है।
- सीमा मुद्दे के राजनीतिकरण से बचने की आवश्यकता पर श्रृंगला की टिप्पणी महत्व रखती है।
- भारत और नेपाल के बीच वार्ता चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत और नेपाल की यात्रा के कुछ दिनों बाद हुई है।
नयी दिल्ली: नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीमा मुद्दे को हल करने के लिए एक द्विपक्षीय तंत्र स्थापित करने का आग्रह किया। वहीं, भारत ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच सामान्य समझ है कि इसे एक जिम्मेदार तरीके से हल करना है और इसके ‘राजनीतिकरण’ से बचा जाना चाहिए। देउबा ने मोदी की मौजूदगी में मीडिया को दिए बयान में कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत में सीमा मुद्दे पर चर्चा हुई और उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री से द्विपक्षीय तंत्र की स्थापना के माध्यम से इसे हल करने का आग्रह किया।
कुछ घंटे बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि सामान्य समझ यह थी कि मुद्दे का समाधान बातचीत के माध्यम से जिम्मेदार तरीके से करने की जरूरत है और इसके ‘राजनीतिकरण’ से बचना चाहिये। सीमा मुद्दे के राजनीतिकरण से बचने की आवश्यकता पर श्रृंगला की टिप्पणी महत्व रखती है क्योंकि 2020 में नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बढ़ते घरेलू दबाव और उनके नेतृत्व को उत्पन्न चुनौती से मुकाबले के लिए इस मुद्दे का उपयोग करने का प्रयास किया था।
कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने तो ओली पर चीन के इशारे पर सीमा मुद्दा छेड़ने का आरोप लगाया क्योंकि उनकी सरकार को भारत के साथ नेपाल के दशकों पुराने संबंधों की कीमत पर बीजिंग के करीब आते देखा गया था। ओली पिछले साल जुलाई में सत्ता से हट गए थे जिसके बाद देउबा नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे। पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनने के बाद देउबा शुक्रवार को अपनी पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा पर नयी दिल्ली पहुंचे थे। बातचीत के बाद देउबा ने कहा, ‘हमने सीमा मुद्दों पर चर्चा की और मैंने मोदी जी से द्विपक्षीय तंत्र की स्थापना के माध्यम से इसे हल करने का आग्रह किया।’
वहीं, मोदी ने कहा कि इस बात पर चर्चा हुई कि भारत और नेपाल के बीच खुली सीमाओं का अवांछित तत्वों द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाए। उन्होंने कहा, ‘हमने चर्चा की कि भारत और नेपाल के बीच खुली सीमाओं का अवांछित तत्वों द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाए। हमने अपने रक्षा और सुरक्षा प्राधिकारियों के बीच सहयोग को गहरा करने पर जोर दिया। मुझे विश्वास है कि आज की हमारी वार्ता भारत-नेपाल संबंधों के बारे में महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य में सक्षम होगी।’
नेपाल द्वारा 2020 में एक नया राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित करने के बाद भारत और नेपाल के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था, जिसमें तीन भारतीय क्षेत्रों, लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख, को नेपाल के हिस्से के रूप में दिखाया गया था। भारत ने अपनी ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ‘एकतरफा कृत्य’ कहा था और काठमांडू को आगाह किया था कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा ‘कृत्रिम विस्तार’ उसे स्वीकार्य नहीं होगा।
श्रृंगला ने कहा, ‘इस मुद्दे पर संक्षेप में चर्चा हुई। एक सामान्य समझ थी कि दोनों पक्षों को हमारे करीबी और मैत्रीपूर्ण संबंधों की भावना में चर्चा और बातचीत के माध्यम से इसका जिम्मेदार तरीके से समाधान करने की जरूरत है और ऐसे मुद्दों के राजनीतिकरण से बचना चाहिए।’ श्रृंगला मोदी-देउबा वार्ता पर एक मीडिया ब्रीफिंग में इस मुद्दे पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि एक भावना थी कि हमें इसका समाधान चर्चा और बातचीत के माध्यम से करना चाहिए।’
भारत और नेपाल के बीच वार्ता चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत और नेपाल की यात्रा के कुछ दिनों बाद हुई है। विदेश सचिव ने भारत और बांग्लादेश के बीच समुद्री और भूमि सीमा के मुद्दों के समाधान का हवाला देते हुए इस बात पर जोर दिया कि नेपाल के साथ मामले को भी सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘आपने देखा है कि हमने बांग्लादेश के साथ जमीन और समुद्री सीमा के मुद्दे को सुलझा लिया है और इसे बहुत ही सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाया गया है। हमारे पास इसके लिए एक तंत्र है।’
श्रृंगला ने कहा, इसी तरह, दोनों पक्षों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए भारत के पास नेपाल के साथ कई तंत्र हैं। उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों के बीच एक संक्षिप्त चर्चा हुई और आम भावना यह थी कि इस मुद्दे का समाधान करना शुरू करने के लिए, हमें एक जिम्मेदार तरीके से बातचीत और चर्चा करने की आवश्यकता है और यह ऐसा कुछ है जिसमें हमें संलग्न होना होगा। और हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि दो करीबी और मैत्रीपूर्ण देशों के बीच हम एक रास्ता खोज लेंगे।’
मई 2020 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का उद्घाटन करने के बाद यह मुद्दा उठा था। नेपाल ने सड़क के उद्घाटन का विरोध करते हुए दावा किया कि यह उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है और कुछ हफ्ते बाद नया नक्शा सामने आया था। संबंधों को फिर से पटरी पर लाने के उद्देश्य से श्रृंगला ने नवंबर 2020 में नेपाल का दौरा किया था।
श्रृंगला की यात्रा के बाद तत्कालीन नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने भारत की यात्रा की थी। मोदी ने बयान में कहा, ‘भारत और नेपाल की दोस्ती, हमारे लोगों के रिश्ते, ऐसा उदाहरण दुनिया में और कहीं नहीं मिलता। हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति, हमारे आदान-प्रदान के धागे प्राचीन काल से जुड़े हुए हैं।’