Mission 2024: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा है कि उनकी पार्टी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की हारी हुई 14 सीटों को भी अगले चुनाव में जीतने की विशेष रणनीति बना रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा का लक्ष्य आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 80 सीटों पर परचम लहराना है। चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, “साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 64 सीटें जीतीं और 16 पर उसे हार मिली। रामपुर और आजमगढ़ के लोकसभा उपचुनाव को जीतकर पार्टी की कुल सीटों की संख्या बढ़कर 66 हो गई। पार्टी पिछले लोकसभा चुनाव में जिन सीटों पर हारी थी, उनमें रायबरेली और मैनपुरी जैसी सीटें शामिल हैं।”
बीजेपी के साथ आएंगे शिवपाल?
उन्होंने कहा, “भाजपा नेतृत्व ने इन हारी हुई सीटों को अगले लोकसभा चुनाव में जीतने के लिए विशेष रणनीति तैयार की है। केंद्रीय मंत्री और नेता लोकसभा क्षेत्रों में जाकर ठहर रहे हैं और जनता से लगातार संवाद कर रहे हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि हम 2019 में जीती गई 64 सीटों और बाद में मिली आजमगढ़ तथा रामपुर सीटों को तो जीतेंगे ही, साथ ही बाकी बची 14 सीटों पर भी विजय प्राप्त करेंगे।” इस सवाल पर कि अगर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव मैनपुरी सीट से अपनी पार्टी से चुनाव लड़ना चाहेंगे तो क्या भाजपा उनकी मदद करेगी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा,“राजनीति संभावनाओं का खेल है, लेकिन अभी मैं इस संबंध में कुछ भी नहीं कहना चाहता और न ही शिवपाल यादव से इस बारे में हमारी कोई बात हुई है।”
अपने चाचा और बहू को संभालें अखिलेश यादव: चौधरी
चौधरी ने कहा, “शिवपाल यादव के समाजवादी पार्टी (सपा) से मतभेद हैं। मैं बार-बार कहता हूं कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी पार्टी, अपने साथियों, अपने परिवार, अपने चाचा, अपनी बहू और रामपुर वाले बड़े चाचा (आजम खां) को संभालें।” उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के इशारे पर चुनाव आयोग द्वारा कथित तौर पर हर विधानसभा क्षेत्र में सपा के प्रमुख वोटबैंक यानी यादवों और मुसलमानों के 20-20 हजार वोट काट दिए जाने के अखिलेश के आरोपों पर चौधरी ने कहा कि ये आरोप झूठ से प्रेरित हैं और सपा अध्यक्ष को अपनी पराजय स्वीकार कर लेनी चाहिए।
भाजपा-बसपा के बीच साठगांठ?
भाजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच अंदरूनी साठगांठ के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा, “ऐसा कुछ भी नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, इसलिए सपा के पास अंदरूनी साठगांठ का बेहतर अनुभव है। यहां तक कि अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव के पास भी तो वर्ष 1993 में बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का अनुभव है।” आगामी नवंबर-दिसंबर में राज्य में संभावित स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा द्वारा मुसलमानों को टिकट दिए जाने की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा, “हां, हम ऐसे मुसलमानों को भी टिकट देंगे, जो हमारी जीत के फॉर्मूले में फिट बैठते होंगे।” उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की कवायद पर तंज कसते हुए कहा, “यह सारी कसरत कांग्रेस के नेतृत्व की निर्णय लेने की अक्षमता की वजह से की जा रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बजाय ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकालनी चाहिए।”
'विश्वसनीयता खो चुके हैं नितीश कुमार'
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में चौधरी ने कहा कि नितीश अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। विपक्ष को साथ लाने की कवायद के बारे में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा, “विपक्षी दलों में अनेक वैचारिक मतभेद हैं और विपक्ष किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा, यह भी एक पेचीदा मुद्दा है। कुछ लोग प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं, मगर ‘यह खिचड़ी’ पक नहीं पाएगी।”
Latest India News