‘एकजुट होने के अलावा और कोई चारा नहीं’, विपक्षी दलों की बैठक पर महबूबा मुफ्ती का बयान
जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि अगर गांधी के देश को बचाना है तो विपक्ष को एकजुट होना ही पड़ेगा।
श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक पर बड़ा बयान दिया है। जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने कहा है कि वह गांधी के हिंदुस्तान को बचाने के लिए किसी भी विपक्षी पार्टी से हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष का एकजुट होना बेहद जरूरी है। मुफ्ती ने शुक्रवार को श्रीनगर में स्थित अपने पार्टी हेडक्वॉर्टर में पत्रकारों के सवालों के जवाब देते कई मुद्दों पर बात की।
‘हमें एकजुट होकर चलना चाहिए’
मुफ्ती ने कहा, ‘विपक्ष के पास एकजुट होने के अलावा और कोई चारा नहीं है। अगर आप गांधी के इस मुल्क को गोडसे का मुल्क बनने से बचाना चाहते हैं, हिंदू-मुस्लिम के झगड़े से इस मुल्क को बचाना चाहते हैं तो आपके पास एकजुट होने के अलावा और कोई चारा नहीं है।’ इस से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक पर कहा कि 2024 के चुनावों को देखते हुए ये बैठकें काफी अहम हैं। उन्होंने कहा कि हम सबको एकजुट होकर आगे चलना चाहिए।
‘दिल्ली को मजबूर करना होगा’
महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव न होने को लेकर कहा कि विधानसभा चुनाव जम्मू-कश्मीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन मेरे लिए चुनावों से ज्यादा जरूरी यहां के लोगों के हकूक हैं जो 2019 में उनसे छीन लिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘ये जो बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में दूरी पैदा की है, उसको हम कम करना चाहते है। कारगिल और लदाख के लोगों की तरह जम्मू और कश्मीर के लोगों को भी एकजुट होकर अपने मसले उजागर करने होंगे और दिल्ली को झुकने पर मजबूर करना होगा।’
‘क्या चुनाव आयोग पर दबाव है?’
श्रीनगर स्मार्ट सिटी पर बोलते हुए महबूबा ने कहा ये सारे प्रॉजेक्ट हमारी सरकार के दौरान के हैं। उन्होंने कहा कि आज जितने भी रिबन काटे जाते हैं वे सारे काम हमारे दौर में हुए हैं,और हमने जम्मू कश्मीर को बराबरी की नजर से देखा है। इस से पहले उमर अब्दुल्ला ने भी जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव न होने पर चुनाव आयोग पर कई सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि क्या चुनाव आयोग पर कोई दबाव है कि वह यहां चुनावों में देरी कर रहा है। अब्दुल्ला ने कहा था कि चुनाव हमारा हक है।