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बेंगलुरू में कल होगी विपक्षी दलों की मीटिंग, शरद पवार-उद्धव ठाकरे समेत ये नेता होंगे शामिल

संजय राउत ने कहा कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी इस मीटिंग में भाग लेने के लिए पहुंच सकते हैं। इस बैठक में गिले-शिकवे भी दूर किए जाएंगे और सीट शेयरिंग को लेकर भी बातचीत होगी।

Meeting of opposition parties will be held in Bengaluru tomorrow Sharad Pawar Uddhav Thackeray- India TV Hindi Image Source : PTI बेंगलुरू में कल होगी विपक्षी दलों की मीटिंग

लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों की दूसरी मीटिंग 17 जुलाई को बेंगलुरू में होने वाली है। इस बीच संजय राउत ने कहा है कि बेंगलुरू में होने वाली इस मीटिंग की होस्ट कांग्रेस की सरकार है। 17 जुलाई की शाम को बेंगलुरू में बैठक होगी। दूसरे दिन 11 बजे बैठक होगी और यह बैठक निर्णायक रहेगी। इसस बैठक में उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और संजय राउत भाग लेने पहुंचेंगे। संजय राउत ने कहा कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी इस मीटिंग में भाग लेने के लिए पहुंच सकते हैं। इस बैठक में गिले-शिकवे भी दूर किए जाएंगे और सीट शेयरिंग को लेकर भी बातचीत होगी। साथ ही आगे के प्लान ऑफ एक्शन तय किए जाएंगे।

17 जुलाई को बेंगलुरू में विपक्षी दलों की मीटिंग

संजय राउत ने मणिपुर को लेकर कहा कि मणिपुर हमारे देश का हिस्सा है और वहां बीजेपी का शासन है। इस वजह से यह सरकार की नाकामयाबी है। वहीं अगर मणिपुर में किसी और पार्टी की सरकार होती तो सारे बीजेपी के नेता टिप्पणी करने लगते। किसी और पार्टी की सरकार वहां होती तो वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाता और तमाम चीजें होती। वहां लोगों को मारा जा रहा है लोगों के घर बर्बाद हो रहे हैं और हमे फ्रस्ट्रेशन है। नासिक में कल उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने कहा था उद्धव ठाकरे को बजट, राजनीति, और सहकार छात्र का अनुभव नहीं था। इसपर राउत ने कहा की अगर जानकारी नहीं है तो आपको पास है। आपने जो सरकार बनाई है। कैसे बनाई है, वो जानकारी हमें नहीं है।

क्या अरविंद केंजरीवाल होंगे शामिल

बता दें कि इससे पूर्व बिहार की राजधानी पटना में विपश्री दलों की मीटिंग हो चुकी है। इस मीटिंग में करीब 15 दलों के नेता भाग लेने के लिए पटना पहुंचे थे। इस दौरान राहुल गांधी, ममता बनर्जी व अन्य दलों के नेताओं ने विपक्षी एकता पर सहमति दिखाई। लेकिन आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच का विवाद सामने आ गया। दरअसल आप लगातार यह मांग कर रही है कि केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस अपना मत स्पष्ट करे। आप द्वारा कहा गया था कि अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती है तो वो आगे से विपक्षी दल की किसी मीटिंग में शामिल नहीं होंगे।

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