'सीपीएम नेताओं की तुलना में ज्यादा निरकुंश हैं ममता', बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद का बड़ा बयान
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सीपीएम नेताओं की तुलना में ज्यादा निरंकुश हैं।
कोलकाता: पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीपीएम नेताओं की तुलना में ज्यादा निरंकुश हैं। उन्होंने मीडियाकर्मियों से ये बात कही। रविशंकर प्रसाद पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले और उस दौरान हिंसा की घटनाओं की समीक्षा करने के लिए चार सदस्यीय केंद्रीय फैक्ट-फाइंडिंग टीम के हिस्से के रूप में बुधवार को कोलकाता पहुंचे।
ममता निरंकुश राजनीति के इस रास्ते पर क्यों चल रही हैं?
केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के अन्य तीन सदस्य मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त सत्यपाल सिंह और भाजपा सांसद राजदीप रॉय और रेखा वर्मा हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमें हमारी पार्टी के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने हालात की समीक्षा करने के लिए यहां भेजा है। हम वापस लौटने पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपेंगे। उन्होंने कहा, ''मेरा सवाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से है, जिन्होंने राज्य में 34 साल के वाम मोर्चा शासन को खत्म करने के लिए बहुत संघर्ष किया। हमें खुशी है कि वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन वह अपने निरंकुश रवैये में सीपीएम नेताओं से कई कदम आगे निकल गईं।'' प्रसाद ने पूछा कि सीएम ममता निरंकुश राजनीति के इस रास्ते पर क्यों चल रही हैं?
राहुल और येचुरी क्यों चुप हैं?- रविशंकर प्रसाद
भाजपा सांसद ने पश्चिम बंगाल में चुनाव संबंधी हिंसा पर कथित चुप्पी के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और सीपीएम दोनों के कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है, फिर भी राहुल गांधी और येचुरी चुप हैं। वे कुछ बोल क्यों नहीं रहे? पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में जो कुछ भी हुआ, वह लोकतंत्र के नाम पर एक धब्बा है।
चुनाव में केंद्रीय बलों का उपयोग नहीं किया गया-प्रसाद
राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा पर कटाक्ष करते हुए प्रसाद ने कहा कि वह तृणमूल शासित राज्य सरकार में एक शीर्ष नौकरशाह थे। लेकिन जिस तरह से उन्होंने ग्रामीण निकाय चुनाव कराए उससे लोकतंत्र शर्मसार हुआ है। कलकत्ता हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद केंद्रीय बलों का उपयोग नहीं किया गया। इससे साबित होता है कि राज्य चुनाव आयोग का कार्यालय राज्य सचिवालय की विस्तारित शाखा के रूप में काम करता है। (इनपुट-आईएएनएस)