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Hindi News भारत राजनीति नहीं पच रही छत्तीसगढ़ में हार, भूपेश बघेल और टीएस देव की दिल्ली में पेशी, राहुल-खरगे मौजूद

नहीं पच रही छत्तीसगढ़ में हार, भूपेश बघेल और टीएस देव की दिल्ली में पेशी, राहुल-खरगे मौजूद

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए झटका साबित हुए हैं। तीनों ही राज्यों में कांग्रेस पार्टी की हालत खराब हो गई और भाजपा को बहुमत मिला। अब छत्तीसगढ़ चुनाव पर कांग्रेस की समीक्षा बैठक हो रही है।

छत्तीसगढ़ चुनाव परिणाम की समीक्षा। (सांकेतिक फोटो)- India TV Hindi Image Source : X (@RAHULGANDHI) छत्तीसगढ़ चुनाव परिणाम की समीक्षा। (सांकेतिक फोटो)

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है। इनमें से राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास में सत्ता थी। हालांकि, कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका छत्तीसगढ़ चुनाव में मिली हार से लगा है। अब इस हार की समीक्षा के लिए कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ के नेताओं के साथ दिल्ली में बैठक कर रही है। 

खरगे-राहुल भी मौजूद

छत्तीसगढ़ चुनाव में मिली हार की समीक्षा के लिए दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में बैठक जारी है। बैठक में भूपेश बघेल, टीएस सिंह देव, कुमारी सैलजा, के सी वेणुगोपाल, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज पहुंचे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस सांसद राहुल भी बैठक में हिस्सा लेकर हाल के कारणों की समीक्षा कर रहे हैं। 

मध्य प्रदेश पर भी मंथन

नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली हार पर भी समीक्षा बैठक हुए हैे। चुनाव हारने की समीक्षा मीटिंग में मध्य प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पहुंचे हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश में हुए चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को कुल 163 सीटें मिली हैं तो वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस मात्र 66 सीटों पर ही सिमट गई है। 

छत्तीसगढ़ क्यों था अहम?

चुनाव से पहले भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस छत्तीसगढ़ में मजबूत और आसानी से चुनाव जीतती हुई नजर आ रही थी। हालांकि, जब चुनाव परिणाम आए तो ठीक इसकी उलटी स्थिति देखने को मिली और भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला। विधानसभा में जहां भाजपा को कुल 54 सीटें मिली तो वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस को केवल 35 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। 

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