महाराष्ट्र में 2019 से महाविकास अघाड़ी सरकार है। महाराष्ट्र की सियासत में लगातार उथल-पुथल होती रहती है। कभी 5 साल में 3 बार सीएम बदले जाते हैं तो कभी धुर-विरोधी पार्टियां मिलकर सरकार बना लेती हैं। महाराष्ट्र की सियासत को लेकर पत्रकार सुधीर सूर्यवंशी की किताब ‘चेकमेट: हाऊ द बीजेपी वन एंड लॉस्ट द स्टेट’ में 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हाथ से सत्ता जाने के राज के बारे में लिखा गया है। किताब में लिखा है कि कैसे एक समय भाजपा के हाथों में आई सत्ता हाथ से निकल गई। उन्होंने नवंबर 2019 में महाराष्ट्र की राजनीति में हुई उथल-पुथल के बारे में विस्तार से लिखते हुए बीजेपी की हाथ से सत्ता के फिसल जाने जाने की थ्रिलर स्टोरी को बताया गया है।
बता दें कि, साल 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर तो सामने आई थी। लेकिन उसकी परंपरागत सहयोगी शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करके महाविकास अघाड़ी मोर्चा बनाकर सरकार बना ली। इस गठबंधन के लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार को अहम किरदार माना जाता है। सुधीर सूर्यवंशी की किताब में बताया गया है कि कैसे 2019 में बीजेपी ने सरकार बनाने की कोशिश की और एनसीपी के युवा नेताओं ने सत्ता बचा ली।
दरअसल, 2019 का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने शिवसेना के साथ मिलकर लड़ा था। बीजेपी ने 105, एनसीपी 54, कांग्रेस 44, शिवसेना 56 सीटों पर जीत दर्ज की। बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश की लेकिन शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग रख दी थी। इसके बाद यह गठबंधन टूट गया।
इस बीच शिवसेना के अलग होने के बाद भाजपा ने शरद पवार के भतीजे अजित पवार को अपने साथ सरकार बनाने के लिए राजी कर लिया। इतना ही नहीं बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के सामने सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया। यही नहीं राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उप-मुख्यमंत्री के पद की शपथ भी दिलवा दी।
अचानक हुई इतने बड़े सियासी हलचल के शरद पवार ने अपने घर पर एनसीपी के विधायकों की बैठक बुला ली। इस बैठक में कुछ विधायक नहीं पहुंचे, जिनके बारे में पता चला कि वो चार्टर प्लेन से हरियाणा के गुरुग्राम के लिए उड़ान भर चुके हैं। अब लड़ाई शुरू हुई एनसीपी के विधायकों को वापस लाने की। शरद पवार ने पार्टी के कद्दावर और अनुभवी नेताओं की जगह इस लड़ाई की कमान राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज शर्मा को सौंपी। धीरज शर्मा ने राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया दूहन को विधायकों की लोकेशन पता लगाने का जिम्मा सौंपा।
राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया दूहन को पता चला कि सभी विधायकों के लिए गुरुग्राम के एक बड़े होटल में इंतजाम किया गया है। लेकिन उनकी सुरक्षा में सख्त पहरा है और उनसे कोई मिल नहीं सकता। बता दें कि उस समय भी हरियाणा में बीजेपी की खट्टर सरकार थी। इस पूरे इंतजाम के बाद भी सोनिया और धीरज शर्मा ने विधायकों के कमरों का पता लगाया। उन्हें वहां से निकालने के लिए सीक्रेट प्लान बनाया गया और उसमें करीब 180 लोगों की टीम शामिल हुई। जिसमें स्थानीय महिलाओं को भी लगाया गया।
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किताब के मुताबिक, सोनिया दूहन होटल के एक सीनियर अधिकारी को अपने प्लान में शामिल करने में कामयाब हो गईं। शरद पवार के इन युवा भरोसेमंद नेताओं ने होटल के लॉन्ड्री विभाग के प्रभारी को भी अपने प्लान का हिस्सा बनाया। लॉन्ड्री मैन के जरिए होटल में ठहरे विधायकों से संपर्क साधा गया। उनसे कहा गया कि होटल से निकालने के लिए शरद पवार ने उन्हें भेजा है।
इसके बाद उन विधायकों को होटल के पीछे वाले रास्ते से बाहर निकाला गया और सभी विधायकों को महाराष्ट्र पहुंचाया गया। जहां से भाजपा सत्ता से दूर होती गई। विधायकों के महाराष्ट्र पहुंचते ही एनसीपी में होने वाली टूट बच गई और महाराष्ट्र की सत्ता बीजेपी के हाथ से फिसल गई।
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