Maharashtra: महाराष्ट्र में उद्धव और एकनाथ शिंदे के बीच की लड़ाई अब शिवसेना पर कब्जे में तब्दील हो गई है। पार्टी, निशान और विचारधारा पर दोनों गुट दावा कर रहे हैं। एकनाथ शिंदे और उनके विधायक गुवाहाटी से अपना दावा ठोंक रहे हैं। शिंदे गुट कह रहा है कि पार्टी से जुड़ी हर चीज पर उनका हक है, क्योंकि उनके पास संख्या बल है। लेकिन इस बीच खबर है कि एकनाथ शिंदे और उनके साथ गए बागी विधायकों के ऊपर मंत्री पद के जाने का खतरा मंडरा रहा है।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि राज्यपाल के पास शिवसेना उन विधायकों के नाम भेज सकती है जिन्हें मंत्री पद से हटाने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, इनमें नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे, कृषि मंत्री दादा भूसे, जल आपूर्ति मंत्री गुलाबराव पाटिल, गृह राज्य मंत्री शंभुराज देसाई, मंत्री संदीपान भूमरे, पशुपालन राज्य मंत्री अब्दुल सत्तार और शिक्षा राज्य मंत्री बच्चू कड़ू शामिल हैं।
संजय राउत ने दिया 24 घंटे का 'अल्टीमेटम'
शिवसेना सांसद संजय राउत ने शनिवार को दावा किया कि एकनाथ शिंदे के खेमे में गए महाराष्ट्र के बागी मंत्री 24 घंटे में अपना पद गंवा देंगे। इससे पहले दिन में, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने शिवसेना अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को वरिष्ठ मंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया। शाम को एक मराठी समाचार चैनल से राउत ने कहा, “उन्हें हटाने की प्रक्रिया जारी है।” उन्होंने कहा, “गुलाबराव पाटिल, दादा भूसे, संदीपन भुमरे जैसे मंत्रियों को शिवसेना का वफादार कार्यकर्ता माना जाता था, जिन्हें उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट मंत्री बनाया था। पार्टी ने उन्हें काफी कुछ दिया है। उन्होंने गलत रास्ता अपनाया है और वे 24 घंटे में अपना पद गंवा देंगे।”
"ठाकरे के मन में सीएम पद के लिए शिंदे का नाम था"
विद्रोही खेमे के अन्य मंत्री शंभूराज देसाई, अब्दुल सत्तार और बच्चू कडू हैं। कडू, प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रमुख हैं जो शिवसेना के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है। राउत ने यह भी दावा किया कि जब शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था और कहा था कि मुख्यमंत्री का पद दोनों दलों के पास बारी-बारी रहेगा, तो ठाकरे के मन में इस शीर्ष पद के लिए शिंदे का नाम था। राज्य में 2019 के चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद बारी-बारी से रखने के मुद्दे को लेकर दोनों सहयोगियों के बीच गठबंधन टूट गया, जिसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिला लिया। राउत ने यह भी कहा कि आधे विद्रोहियों का हिंदुत्व से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन वे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहे हैं।
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