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Hindi News भारत राजनीति स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष के जख्मों पर छिड़का नमक, पहले ही संबोधन में की इमरजेंसी की निंदा, हंगामा

स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष के जख्मों पर छिड़का नमक, पहले ही संबोधन में की इमरजेंसी की निंदा, हंगामा

ओम बिरला ने कहा कि जब हम आपातकाल के 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये 18वीं लोकसभा, बाबा साहब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान को बनाए रखने, इसकी रक्षा करने और इसे संरक्षित रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला- India TV Hindi Image Source : ANI लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

नई दिल्लीः स्पीकर ओम बिरला ने आज अपने पहले ही संबोधन में सदन को इमरजेंसी की याद दिलाई और निंदा की। इस पर विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा किया। ओम बिरला ने विपक्ष के विरोध के बीच सदन में आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया और संविधान पर हमला किया। 

ओम बिरला ने इमरजेंसी लगाने की कड़ी निंदा की

ओम बिरला ने कहा कि ये सदन 1975 में देश में इमरजेंसी लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं। जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।

दो मिनट का मौन भी रखा

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इमरजेंसी ने भारत के कितने ही नागरिकों का जीवन तबाह कर दिया था। कितने ही लोगों की मृत्यु हो गई थी। इमरजेंसी के उस काले कालखंड में, कांग्रेस की तानाशाह सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले भारत के ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और देश से प्रेम करने वाले नागरिकों की स्मृति में हम दो मिनट का मौन रखते हैं। 

युवा पीढ़ी लोकतंत्र के काले अध्याय को जानेः बिरला

 बिरला ने कहा कि 1975 में आज के ही दिन तब की कैबिनेट ने इमरजेंसी का पोस्ट-फैक्टो रेटिफिकेशन किया था। इस तानाशाही और असंवैधानिक निर्णय पर मुहर लगाई थी। इसलिए अपनी संसदीय प्रणाली और अनगिनत बलिदानों के बाद मिली इस दूसरी आजादी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए आज ये प्रस्ताव पास किया जाना आवश्यक है। हम ये भी मानते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानना चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष ने दिलाई आपातकाल की याद

लोकसभा अध्यक्ष  ने कहा कि 1975 से 1977 का वो काला कालखंड अपने आप में एक ऐसा कालखंड है। जो हमें संविधान के सिद्धांतों, संघीय ढांचे और न्यायिक स्वतंत्रता के महत्व की याद दिलाता है। ये कालखंड हमें याद दिलाता है कि कैसे उस समय इन सभी पर हमला किया गया और क्यों इनकी रक्षा आवश्यक है। 

कांग्रेस सरकार की निंदा की

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान लोगों को कांग्रेस सरकार द्वारा जबरन थोपी गई अनिवार्य नसबंदी का, शहरों में अतिक्रमण हटाने के नाम पर की गई मनमानी का और सरकार की कुनीतियों का प्रहार झेलना पड़ा। ये सदन उन सभी लोगों के प्रति संवेदना जताना चाहता है। 

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