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Hindi News भारत राजनीति 'हम चुनाव नहीं लड़ना चाहते, सरकार ने हमें मजबूर किया', लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार कांग्रेस सांसद के. सुरेश

'हम चुनाव नहीं लड़ना चाहते, सरकार ने हमें मजबूर किया', लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार कांग्रेस सांसद के. सुरेश

लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए आज चुनाव होने जा रहे हैं, इससे पहले इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने कहा कि हम चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे पर सरकार ने हमें मजबूर किया है।

लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार कांग्रेस सांसद के. सुरेश- India TV Hindi Image Source : PTI लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार कांग्रेस सांसद के. सुरेश

आज लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए संसद में चुनाव होने हैं। एनडीए ने ओम बिरला को दोबारा लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाया है तो वहीं, इंडिया गठबंधन ने कांग्रेस सांसद के.सुरेश को उनके (ओम बिरला) सामने अपना उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि दोनों उम्मीदवारों ने बीते दिन अपना-अपना नामांकन भर दिया है। इस मुद्दे पर अब इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने अपनी बात कही है।

'सरकार ने इंडिया अलायंस को किया मजबूर'

लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने कहा, "सरकार ने इंडिया अलायंस को चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया। हम अध्यक्ष के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं, लेकिन जब सरकार ने इंडिया अलायंस, खासकर कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व से संपर्क किया, तो हमने डिप्टी स्पीकर पद के बारे में पूछा। उस समय हमें कोई आश्वासन नहीं दिया गया। कल भी उन्होंने सुबह 11.30 बजे तक कोई आश्वासन नहीं दिया।

'हमारे नेताओं ने अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का लिया फैसला'

आगे उन्होंने कहा कि पहले आप अध्यक्ष के चुनाव का समर्थन करें और उसके बाद हम डिप्टी स्पीकर पर चर्चा करेंगे। तो, वह जवाब संतोषजनक नहीं था। इसलिए, हमारे नेताओं ने अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का फैसला किया। यह चुनाव एनडीए नेतृत्व का अडिग रुख है। अन्यथा, इसे टाला जा सकता था। लेकिन, वे विपक्ष के साथ सहयोग करने के लिए तैयार नहीं हैं, वे विपक्षी पार्टी को डिप्टी स्पीकर पद के लिए मौका देने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए, यह चुनाव आज हो रहा है, लेकिन इस चुनाव की पूरी जिम्मेदारी एनडीए नेतृत्व की है।"

आम तौर पर नहीं होते चुनाव

जानकारी के लिए बता दें कि आमतौर पर लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव नहीं होते। बल्कि पक्ष और विपक्ष की आम सहमति ये इन्हें चुन लिया जाता था, लेकिन इस बार लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सरकार व विपक्ष आमने सामने हैं।

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