Lok Sabha Elections 2024: रामविलास पासवान की सियासी विरासत बचा पाएंगे चिराग? जानें क्या कहते हैं हाजीपुर के समीकरण
हाजीपुर की लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर दिवंगत नेता राम विलास पासवान ने एक जमाने में वर्ड रिकॉर्ड बनाया था, और अब उसी सीट से पासवान के बेटे चिराग अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। क्या चिराग के लिए यह सफर आसान होगा?
हाजीपुर: अपने केलों के लिए मशहूर बिहार के हाजीपुर संसदीय क्षेत्र दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले वैशाली जिले का ही हिस्सा है। गंगा और गंडक नदियों के संगम वाला यह क्षेत्र शुरू से ही समाजवादियों के प्रभाव वाला क्षेत्र माना गया है। इस कारण यहां का चुनाव कई मुद्दे पर लड़े जाते रहे हैं। इस चुनाव में न केवल इस संसदीय क्षेत्र पर पूरे देश की नजर है, बल्कि कहा जा रहा है कि इस क्षेत्र का परिणाम स्वर्गीय रामविलास पासवान के कर्मस्थली और उनकी सियासी विरासत को भी तय करेगा।
मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधन के बीच
मौजूदा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले NDA ने यहां से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं विपक्षी दल के महागठबंधन ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता शिवचंद्र राम को प्रत्याशी बनाया है। इस क्षेत्र में मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधन के बीच ही माना जा रहा है। 19.53 लाख से ज्यादा मतदाताओं वाले हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में हाजीपुर, लालगंज, महुआ, राजापाकर, राघोपुर तथा महनार विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। हाजीपुर संसदीय क्षेत्र 1952 में सारण सह चंपारण संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। वर्ष 1957 में यह क्षेत्र अस्तित्व में आया था।
4 दशक तक रामविलास पासवान रहे केंद्र
1957 से 1971 तक यह क्षेत्र केसरिया संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। पिछले चुनाव में यहां से रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस विजयी हुए थे। रामविलास ने यहां से रिकॉर्ड वोटों से जीतकर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराया था। यहां की सियासत 4 दशक तक रामविलास पासवान के इर्द गिर्द घूमती रही है। पिछले चुनाव से इस बार परिस्थितियां बदली नजर आ रही हैं। पिछले चुनाव से अलग इस चुनाव में रामविलास की इस कर्मभूमि से उनके पुत्र चिराग पासवान चुनावी मैदान में उतरे हैं।
चाचा से टकराव के बाद चिराग ने मारी बाजी
2024 के चुनाव में जहां पासवान को जाति के आधार पर वोट, भाजपा और जदयू के कैडर वोट और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भरोसा है, वहीं RJD के प्रत्याशी को अपने सामाजिक समीकरण से चुनावी वैतरणी पार करने का विश्वास है। मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में दोनों गठबंधनों के नेता भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। रामविलास के निधन के बाद LJP दो गुटों में बंट गई। चिराग और उनके चाचा पारस में मतभेद हो गया। दोनों अलग-अलग पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। इस सीट पर दोनों ने दावेदारी की, लेकिन अंत में यह सीट चिराग के हाथ आ गई।
पीएम मोदी ने चिराग के समर्थन में की रैली
हालांकि उनके चाचा पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोजपा भी NDA के साथ है। पिछले चुनाव में चिराग जमुई से सांसद चुने गए थे। जातीय आधार पर इस क्षेत्र में यादव, राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा और पासवान की संख्या अधिक है। अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाजीपुर में चिराग के समर्थन में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए रामविलास पासवान को याद किया। उन्होंने रामविलास पासवान को सामाजिक न्याय का सच्चा साधक बताया और कहा कि रामविलास जी की आत्मा को चिराग के सिर्फ जीतने भर से शांति नहीं मिलेगी, उनकी आत्मा को शांति तब मिलेगी जब उन्हें रामविलास पासवान से ज्यादा वोट मिलेंगे।
RJD ने भी लगाया है अपना पूरा जोर
माना जाता है कि दोनों गठबंधन में शामिल दलों को अपने वोट बैंक और कैडर वोटों को अंतिम समय तक सहज कर रखना चुनौती है। हालांकि राजद प्रत्याशी शिवचंद्र राम के लिए RJD ने पूरा जोर लगाया है। बहरहाल, चिराग पासवान को जहां सवर्ण जातियों के साथ-साथ मोदी और नीतीश के नाम और बीजेपी के कैडर वोटों का सहारा है, वहीं शिवचंद्र राम को अपने वोट बैंक पर भरोसा है। अब इनके भरोसा पर मतदाता कितने खरा उतरते हैं, यह तो 4 जून को चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा। हाजीपुर में पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होना है। (IANS)