नई दिल्लीः जैसा कि कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता। कुछ ऐसा हुआ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ। आपातकाल के बाद सत्ता में आई जनता पार्टी सरकार ने 1977 में इंदिरा गांधी को भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने इंदिरा पर दो कंपनियों से 104 जीपें लेने का आरोप लगाया। 1975-1977 तक आपातकाल लगाए जाने के बाद हमेशा सुर्खियों में रहने वाली इंदिरा गांधी ने विपदा को भी अवसर में बदल दिया था।
हाथ में हथकड़ी लगाने पर अड़ गई थी इंदिरा
दरअसल, इंदिरा गांधी को जब सीबीआई अधिकारी गिरफ्तार कर बड़खल लेक गेस्ट हाउस ले जा रहे थे तो रेलवे फाटक पर रुकने के बाद वह गाड़ी से उतरकर पुलिया पर बैठ गई। उन्हें पुल पर बैठा देख वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई। इंदिरा ने सीबीआई अफसरों से कहा कि उनके हाथों में हथकड़ी लगाएं। 4 अक्टूबर 1977 को अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार, इंदिरा गांधी ने अधिकारियों को न सिर्फ हथकड़ी लगाने को कहा बल्कि निजी मुचलका देने से भी इनकार कर दिया।
इंदिरा के साथ पूरा परिवार था साथ
जिस समय यह घटना हुई उस दौरान इंदिरा गांधी के दोनों बेटे राजीव और संजय गांधी, बहुएं सोनिया और मेनका भी मौजूद थीं। गिरफ्तारी के बाद इंदिरा के आवास पर भारी भीड़ जुट गई और लोग इंदिरा गांधी के पक्ष में नारेबाजी करने लगे। इंदिरा गांधी के वकील बीआर हांडा भी वहां मौजूद थे। उनका कहना था कि इंदिरा को दिल्ली से बाहर इसलिए नहीं ले जा सकता क्योंकि मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना उन्हें अरेस्ट किया गया था।
पुलिया पर से उठने से इनकार कर दिया
हांडा और सीबीआई अधिकारियों के बीच काफी बहस हुई। बहस का मुद्दा यह था कि गिरफ्तार व्यक्ति को एक अदालत के अधिकार क्षेत्र से दूसरे अदालत में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। कानूनी स्थिति जानने के बाद इंदिरा गांधी ने भी पुलिया पर से उठने से इनकार कर दिया। इसी बीच वहां जुटे उनके समर्थक भी उत्तेजित हो गये और नारेबाजी करने लगे। उन्होंने पूछा कि बड़खल ले जाने के लिए सरकार ने कौन सा कानून बदला है। आधे घंटे बाद फिर सीबीआई अधिकारी उन्हें लेकर दिल्ली जाने पर तैयार हो गए।
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