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Hindi News भारत राजनीति Lok Sabha Elections 2024: ‘आरक्षण की राह में कांग्रेस ने अटकाए रोड़े’, सोशल मीडिया पर चिदंबरम की पोस्ट पर भड़के यूजर्स

Lok Sabha Elections 2024: ‘आरक्षण की राह में कांग्रेस ने अटकाए रोड़े’, सोशल मीडिया पर चिदंबरम की पोस्ट पर भड़के यूजर्स

कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि जवाहर लाल नेहरू से लेकर डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार तक कांग्रेस ने आरक्षण को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

Lok Sabha Elections 2024, Lok Sabha Elections, Elections 2024- India TV Hindi Image Source : FILE कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम।

नई दिल्ली: देश में लोकसभा चुनाव जारी है। इस सबके बीच कांग्रेस लगातार बीजेपी पर इस बात को लेकर हमला बोल रही है कि वह संविधान को बदलना चाहते हैं और देश से आरक्षण खत्म करना चाहते हैं। जबकि, दूसरी तरफ बीजेपी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए यह कह रही है कि कांग्रेस OBC कोटे में मुसलमानों को शामिल कर उन्हें आरक्षण का लाभ दे रही है। हालांकि सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने कांग्रेस पर आरक्षण की राह में रोड़े अटकाने का आरोप लगाया है।

चिदंबरम ने बताया कांग्रेस ने कब-कब लागू किया आरक्षण

इस सब के बीच कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी, जिसने 1951 में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण प्रदान करने वाले संविधान में पहला संशोधन पारित किया था। इसके बाद पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी, जिसने 1994 में केंद्र सरकार की नौकरियों में OBC के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था। वहीं, कांग्रेस की डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार थी, जिसने 2006 में केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था।’

चिदंबरम के X पोस्ट पर तमाम लोगों ने दी प्रतिक्रिया 

उन्होंने आगे लिखा,'अब तक केंद्र में जितनी सरकारें उसके बाद आईं, उन्होंने आरक्षण पर कांग्रेस की नीति का ही पालन किया।आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा एक न्यायिक निर्णय था। कई राज्यों में इसका उल्लंघन हुआ है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र 2024 में वादा किया है कि कांग्रेस या कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत की सीमा को हटा देगी।' इस पर अब राजनीतिक प्रतिक्रिया के साथ ही लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। लोग पी. चिदंबरम के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कह रहे हैं कि यह नेहरू ही थे, जिन्होंने एससी और एसटी के लिए आरक्षण का स्पष्ट रूप से विरोध करते हुए मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था।

‘केलकर समिति की सिफारिश को ठंडे बस्ते में डाला गया’

सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि नेहरू ने अपने पत्र में लिखा था, ‘यह सच है कि हम अनुसूचित जातियों और जनजातियों की मदद करने के बारे में कुछ नियमों और परंपराओं से बंधे हैं। वे मदद के पात्र हैं, लेकिन, फिर भी, मैं किसी भी तरह के आरक्षण को नापसंद करता हूं, खासकर सेवा में मैं दोयम दर्जे के इस मानक के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करता हूं, जो अक्षमता की ओर ले जाती है।’ लोग आगे लिख रहे हैं कि यह कांग्रेस ही थी, जिसने 1957 में की गई केलकर समिति की सिफारिश (पिछड़ा आयोग के लिए) को तब तक ठंडे बस्ते में डाल दिया जब तक कि पीएम मोदी ने 2018 में कांग्रेस के विरोध के बावजूद OBC आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं दे दिया।

‘राजीव गांधी ने किया था OBC आरक्षण का पुरजोर विरोध’

लोगों ने यह भी कहा कि यह कांग्रेस ही थी, जिसने 1983 में बनी मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं कीं। अंततः बीजेपी समर्थित सरकार ने इसे 1990 में लागू किया। वह राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने 1990 में ओबीसी आरक्षण का पुरजोर विरोध किया था। इसके साथ ही लोगों ने लिखा कि, ‘यह कांग्रेस ही है, जिसने डॉ. अंबेडकर की निंदा की और उन्हें हराने और उनके संसद में प्रवेश को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया। यह कांग्रेस ही है जिसने गांधी परिवार के हाथों सीताराम केसरी जैसे पिछड़े नेता को अपमानित किया। यह राहुल गांधी ही हैं, जिन्होंने 2019 के भाषण में पूरे पिछड़े समुदाय को गाली दी थी और जिसके लिए उन्हें अदालत ने दोषी भी ठहराया था।’

‘आरक्षण में रोड़े अटकाने से भरा पड़ा है कांग्रेस का इतिहास’

उन्होंने लिखा, ‘यह कांग्रेस ही है, जिसने 2004-10 के बीच आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को उनके आरक्षण में से कुछ हिस्सा देकर ओबीसी को धोखा देने की कोशिश की थी। केंद्र में कांग्रेस की सरकार ने ही 2011 में मुसलमानों को उनके कोटे का एक हिस्सा देकर ओबीसी को धोखा देने की कोशिश की थी। यह कांग्रेस ही है, जिसने कर्नाटक में पूरे मुस्लिम समुदाय को ओबीसी का नाम दिया है, जिससे ओबीसी को उनकी पूरी हिस्सेदारी से वंचित कर दिया गया है।’ इन सब बातों के लिए जरिए लोग बता रहे हैं कि कांग्रेस का इतिहास एससी, एसटी और ओबीसी के लिए कोटा में बाधा डालने से भरा पड़ा है। (IANS)

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