Lok Sabha Election 2024: असम की जोरहाट सीट पर गौरव गोगोई और तपन गोगोई के बीच मुकाबला, जानें सियासी समीकरण
Hot seats in Lok Sabha Elections 2024: जोरहाट की सीट कभी कांग्रेस की गढ़ मानी जाती थी। लेकिन पिछले दो चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया है। अब एक बार फिर इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने के आसार हैं।
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव को मतदान में अब कुछ दिनों का ही वक्त बाकी रह गया है। कुल सात चरणों में होनेवाली वोटिंग का पहला चरण 19 अप्रैल को शुरू होगा। आखिरी चरण में एक जून को वोट पड़ेंगे और वोटों के नतीजे 4 जून को आएंगे। इस बीच सियासी सरगर्मियां जोर पकड़ने लगी हैं। असम की जोरहाट सीट पर इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प होने के आसार हैं। फिलहाल यह सीट बीजेपी के पास है। लेकिन कांग्रेस ने गौरव गोगोई को इस सीट से टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
अब तक 10 बार जीत चुकी है कांग्रेस
दरअसल, असम की कुल 14 लोकसभा सीटों में से एक सीट जोरहाट की भी है। यह लोकसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आई थी। पहले ही चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस को सफलता मिली थी। तब से यह सीट कांग्रेस की गढ़ मानी जाती थी। अब तक इस सीट पर लोकसभा के 14 चुनावों में से 10 चुनावों में कांग्रेस और मात्र दो चुनावों में बीजेपी को जीत हासिल हुई है। बीजेपी को 2014 और 2019 को लोकसभा चुनावों में जीत हासिल हुई।
चाय उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है जोरहाट
गुवाहाटी के बाद जोरहाट असम का दूसरा महत्वपूर्ण शहर है। इसके इतिहास की बात करें तो यह अहोम साम्राज्य की अंतिम राजधानी थी। यहां उस समय के कुछ ऐतिहासिक स्मारक भी मौजूद हैं। जोरहाट चाय उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ के साथ जोरहाट में भी बड़े पैमाने पर चाय का उत्पादन होता है।
कांग्रेस का गढ़ रहा है जोरहाट लोकसभा सीट
जोरहाट के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो 1957 में पहले लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के अहमद मोफिदा ने जीत हासिल की थी। लेकिन 1962 में कांग्रेस को इस सीट से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी करते हुए इस सीट पर जीत दर्ज की। 1967 से लगातार इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। 1984 में यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई। 1991 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर जीत दर्ज की। 1991 से लेकर 2009 तक जोरहाट की सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। 2014 के लोकसभा चुनाव में तस्वीर बदल गई। मोदी की लहर में इस सीट पर कमल खिल गया। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कामाख्या प्रसाद ने इस सीट पर जीत दर्ज की। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तपन गोगोई को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने यह सीट जीत ली।
2014 के चुनाव नतीजे
2014 के चुनाव में पहली बार इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी को सफलता मिली। 2014 में बीजेपी ने इस सीट से कामाख्या प्रसाद को टिकट दिया। कामाख्या प्रसाद को कुल 4,56,420 वोट मिले। वहीं कांग्रेस के बिजय कृष्णा हांडिक को कुल 3,54,000 वोट मिले। तीसरे नंबर पर सीपीआई के उम्मीदवार द्रौपद बोरगोन रहे, उन्हें कुल 28,930 वोट मिले।
2019 के चुनाव नतीजे
2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने तपन कुमार गोगोई को उम्मीदवार बनाया। इस बार उम्मीदवार बदलने का लाभ पार्टी को मिला। तपन कुमार गोगोई ने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार को हरा दिया। तपन कुमार गोगोई को कुल 5,43,288 वोट मिले जबकि कांग्रेस के सुशांत बोरगोहेन को कुल 4,60,635 वोट मिले।