बेंगलुरु: कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने सोमवार को कहा कि पिछले कई सालों से अलग-अलग उद्देश्यों के लिए जमीन आवंटित करने के बाद अब सरकार नए कब्रिस्तानों, खेल के मैदानों, अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक सेवाओं के लिए भूमि की तलाश करने में मशक्कत कर रही है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, ‘देखिए, कैसी स्थिति आ गई है, सरकार को कब्रिस्तानों के लिए जमीन खरीदनी पड़ रही है। पिछले साल सरकार ने कब्रिस्तानों के लिए जमीन खरीदने में 50 करोड़ रुपये खर्च किए। वर्षों से विभिन्न उद्देश्यों के लिए बार-बार जमीन आवंटित करने के बाद, अब हमें कब्रिस्तानों के लिए जमीन खरीदनी पड़ रही है।’
ED के 2 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान हरिहर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक हरीश बीपी के सवाल के जवाब में गौड़ा ने कहा कि बच्चों के लिए खेल के मैदान उपलब्ध कराने, बिजलीघर, अस्पताल और आंगनवाड़ी केंद्र के लिए भी जगह नहीं बची है। इस बीच कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम में 187 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में सोमवार को उस वक्त एक बड़ा मोड़ आ गया, जब राज्य सरकार के एक अधिकारी पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और वित्त विभाग को ‘फंसाने’ के लिए दबाव डालने के आरोप में ED के 2 अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
‘16 जुलाई को मुझसे 17 सवाल पूछे गए थे’
समाज कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक कल्लेश बी. की शिकायत के आधार पर विल्सन गार्डन पुलिस थाने में 2 ED अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। कल्लेश ने मुरली कन्नन नाम के एक ED अधिकारी और मित्तल उपनाम वाले एक अधिकारी पर आरोप लगाया है। कर्नाटक सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल के अलावा CBI भी 187 करोड़ रुपये के कथित गबन की जांच कर रही है, जिसमें हैदराबाद स्थित कंपनियों को 88 करोड़ रुपये का अवैध ट्रांसफर भी शामिल है। कल्लेश ने कहा कि 16 जुलाई को पूछताछ के दौरान कन्नन ने उनसे 17 सवाल पूछे और उन्होंने तुरंत उनके जवाब दिए।
‘मुख्यमंत्री का नाम लेने को कहा गया’
कल्लेश ने आरोप लगाया कि कन्नन ने उनसे मामले में पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और वित्त विभाग का नाम लेने को कहा। इसके अलावा, कल्लेश ने कहा कि मित्तल ने कथित तौर पर उन्हें केस में फंसाने की धमकी दी और कहा कि अगर वह चाहते हैं कि ED उनकी मदद करे, तो उन्हें मुख्यमंत्री, नागेंद्र और वित्त विभाग का नाम लेना चाहिए। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि हालांकि वह अपराध में शामिल नहीं थे, लेकिन उन्हें बुलाया गया और धमकाया गया तथा लिखित में देने के लिए कहा गया कि मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री और वित्त विभाग के अधिकारी इसमें शामिल थे।
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