JDU vs BJP: बिहार में हुए सियासी उलटफेर का असर अब दिल्ली में देखने को मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाईटेड) के गठबंधन टूटने की वजह से राज्यसभा में तकरार बढ़ सकती है। NDA से अलग होने के बाद जदयू ने राज्यसभा में उपसभापति पद के मामले में भाजपा को उलझा दिया है। पार्टी ने वर्तमान उपसभापित हरिवंश के अपने पद से इस्तीफा नहीं देने की घोषणा की है। ऐसे में भाजपा के सामने हरिवंश को पद से हटाने की मजबूरी खड़ी हो गई है।
राज्यसभा की कार्यवाही के संचालन में उपसभापति का किरदार बेहद अहम होता है। पहले भाजपा को लगा था कि जदयू के राजग छोड़ने के बाद हरिवंश अपने पद से खुद ही इस्तीफा दे देंगे। हालांकि, जदयू ने हरिवंश को पद से इस्तीफा नहीं देने के लिए कहा है। ऐसे में भाजपा के पास अनुच्छेद 90 सी के तहत हरिवंश को उपसभापति पद से हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। इसके लिए पार्टी को बहुमत की जरूरत है, मगर पार्टी के पास उच्च सदन में सहयोगियों को मिलाकर भी बहुमत हासिल नहीं है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो विपक्ष को मात देने के लिए यह पद बीजू जनता दल (बीजद) को दिया जा सकता है।
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NDA को चाहिए होगा विपक्ष के सांसदों का साथ
वर्तमान समय की बात करें तो राज्यसभा में 237 सदस्य हैं। अभी आठ पद खाली हैं उनमें चार जम्मू कश्मीर और एक त्रिपुरा की सीट है, जबकि तीन सदस्यों का मनोनयन होना बाकी है। शीतकालीन सत्र तक तीन सदस्यों के मनोनयन और त्रिपुरा की सीट भरे जाने की संभावना है। जिसके बाद सदन में 241 सदस्य हो जाएंगे।
ऐसे में उच्च सदन के सदस्यों की संख्या 241 और बहुमत का आंकड़ा 122 होगा। इनमें भाजपा के पास मनोनीत सदस्यों और सहयोगियों के साथ पक्ष वाले सांसदों की संख्या 116 होगी। यह बहुमत से छह कम होगा। दूसरी ओर विपक्ष के पास 107 सांसदों का संख्या बल होगा। ऐसे में जीत की चाबी बीजद और वाईएसआर कांग्रेस के पास होगी। इन दोनों दलों ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति चुनाव के साथ कई अहम बिल पारित कराने में राजग का साथ दिया है।
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