Jammu kashmir assembly election 2024: 35 साल बाद श्रीनगर के इस इलाके में दिखी बेहद खूबसूरत तस्वीर
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसे लेकर वहां के लोग काफी उत्साहित हैं। 35 साल बाद घाटी में शांति और सुकून का माहौल दिख रहा है।
35 साल बाद श्रीनगर के ऐतिहासिक हब्बा कदल में दिखी धार्मिक त्योहार और चुनावी माहौल की बेहद खूबसूरत तस्वीर... देश के विभिन्न राज्यों से आए कश्मीरी पंडितों ने उत्साह के साथ मनाया गणपति का त्यौहार। कश्मीरी पंडितों को 35 साल पहले जिस मातृभूमि को छोड़कर, अपना सब कुछ छोड़कर यहां से पलायन करना पड़ा, आज 35 साल बाद कश्मीरी पंडित राजनीति के जरिए अपनी घर वापसी की उम्मीद लगा रहे हैं। उम्मीद का यह केरिन 10 साल बाद हो रहे विधानसभा के चुनाव का माहौल और पहली बार इस चुनावी क्षेत्र से 6 कश्मीरी पंडितों का प्रत्याशी बनाना माना जा रहा है।
आज जम्मू कश्मीर में शांति और सुकून का माहौल है
चुनावी माहौल इतना गरम और खूबसूरत है कि कश्मीरी पंडित प्रत्याशी आज खुलकर उन सड़कों पर चुनाव प्रचार करते नजर आ रहे हैं जहां कभी आतंकवाद की गोलियां, बम और हिंसा की आवाज से पूरा शहर सहम जाता था। जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में 1990 के दशक के बाद ऐसा पहली बार देखा जा रहा है। जब एक साथ 6 कश्मीरी पंडित इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर कश्मीरी पंडितों की आवाज बनकर उनके घर वापसी के सपने को साकार करने का वादा कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि 1990 से लेकर 2004 तक यहां चुनाव प्रचार करना तो दूर की बात थी। चुनाव का नाम लेने से भी लोगों को डर लग रहा था। चुनाव हुए भी लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र में चुनाव बहिष्कार का असर दिखा और काम वोटिंग होने का सबसे ज्यादा फ़ैयदा नेशनल कांफ्रेंस को मिलता रहा।
घाटी में चुनाव को लेकर अलग माहौल दिख रहा
आज की तस्वीर इन चुनाव में बिल्कुल अलग दिख रही है और इसका अंदाजा हब्बा काडाल की इन तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है। जहां आज एक तरफ कश्मीरी पंडित प्रत्याशी चुनाव प्रचार करते नजर आ रहे हैं ,तो वहीं दूसरी तरफ देश के विभिन्न राज्यों से आए कश्मीरी पंडित अपने धार्मिक त्योहार में शामिल हुए हैं। लोगों ने बेखोफ होकर पूजा अर्चना की, हवन किया। एक दूसरे से गले मिले और इस बात को लेकर बेहद खुश नजर आए कि कश्मीर का माहौल अब बदल गया है।
एक ना एक दिन जरूर घर वापसी होगी
कश्मीर में चल रही अमन की इस फिजा को कश्मीरी पंडित भी महसूस करने लगे हैं और इस उम्मीद पर आज भी ज़िंदा है कि एक ना एक दिन ज़रूर घर वापसी होगी। इंडिया टीवी से बात करते हुए कश्मीरी पंडितों ने कहा, हम चाहते हैं कश्मीर में 1990 से पहले का दौर वापस लौट आए। हम अपने घरों को वापस लौटना चाहते हैं। यह हमारी मातृभूमि है। कश्मीरी पंडितों ने यह आरोप लगाया क्यों 1990 से अब तक जो भी सरकारें आईं, उन्होंने कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं किया बल्कि वोट पर सिर्फ सियासत हुई।
विधानसभा में आएंगे कश्मीरी पंडित
कश्मीरी पंडितों ने इस बात पर खुशी जताते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित हिस्सा ले रहे हैं लेकिन इतने प्रत्याशियों का चुनाव में हिस्सा लेने से वोट बढ़ जाएंगे। इसके लिए यूनिटी बेहद जरूरी थी जो बेहद कम दिख रही है। लेकिन बहुत सारे कश्मीरी पंडित यह मानते हैं कि वोट बेहद जरूरी है और हमारा वोट घर वापसी के मुद्दे पर होगा क्योंकि यह एक पॉजिटिव कदम है। कश्मीरी पंडित विधानसभा में आएंगे और कश्मीरी पंडितों के आवास भी बनेंगे।
पुरानी पार्टियों को चुनाव जीतना आसान नहीं होगा
इस बदलाव का कारण कश्मीर में 370 हटाए जाने के बाद लौट रही अमन-शांति मानी जा रही है। सभी कश्मीरी पंडित प्रत्याशी इस बात को मान रहे हैं कि कश्मीर बदल रहा है जिसके कारण आज के चुनाव में लोग खुलकर हिस्सा ले रहे हैं और यह मानते हैं कि इस बार पुरानी पार्टियों के लिए चुनाव जीतना आसान भी नहीं होगा। इन सभी प्रत्याशियों का मकसद है कि कश्मीरी पंडितों ने जो दर्द 1990 से अब तक झेला है, उसपर मरहम लगाना और कश्मीरी पंडितों के घर वापसी के सपने को साकार करना।
कश्मीर में आतंक का दौर था, हो रहा था पलायन
आपको बता दें कि इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा कश्मीरी पंडित रहा करते थे, लेकिन 1990 में कश्मीर में आतंक का दौर शुरू होते ही कश्मीरी पंडितों ने यहां से पलायन किया, जिसके बाद इस विधानसभा क्षेत्र में हमेशा वोटिंग परसेंटेज ना के बराबर रही और इसका फायदा हमेशा नेशनल कांफ्रेंस को मिला। इस चुनावी क्षेत्र में अब तक तीन कश्मीरी पंडित विधायक बने हैं, लेकिन ज्यादातर इस पर नेशनल कांफ्रेंस का कंट्रोल रहा है।