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Hindi News भारत राजनीति सोशल मीडिया पर भिड़ गए ज्योतिरादित्य सिंधिया और जयराम रमेश, इतिहास तक को कुरेद डाला

सोशल मीडिया पर भिड़ गए ज्योतिरादित्य सिंधिया और जयराम रमेश, इतिहास तक को कुरेद डाला

जयराम रमेश ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की आलोचना करते हुए सिंधिया परिवार देश से गद्दारी करने का आरोप लगाते हुए वीर सावरकर की एक किताब का जिक्र किया है जिसे उन्होंने केंद्रीय मंत्री को पढ़ने की हिदायत दी है।

Jairam Ramesh and Jyotiraditya Scindia fight on twitter through poetry and history of veer savarkar - India TV Hindi Image Source : INDIA TV सोशल मीडिया पर भिड़ गए ज्योतिरादित्य सिंधिया और जयराम रमेश

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा राहुल गांदी पर बयान दिए जाने के बाद कांग्रेस और भाजपा नेता एक दूसरे पर बरस पड़े हैं। ऐसे में दोनों ही पार्टियों के नेताओं के बीच सोशल मीडिया पर लड़ाई तेज हो गई है। इसी कड़ी में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बीच ट्विटर पर वॉर शुरू हो चुका है। जयराम रमेश ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की आलोचना करते हुए सिंधिया परिवार देश से गद्दारी करने का आरोप लगाते हुए वीर सावरकर की एक किताब का जिक्र किया है जिसे उन्होंने केंद्रीय मंत्री को पढ़ने की हिदायत दी है। 

सिंधिया-रमेश के बीच सोशल मीडिया पर वॉर

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर एक ट्वीट करते हुए लिखा कि इतिहास की कोई किताब उठा लीजिये। 1857 में रानी झांसी के साथ गद्दारी के मुद्दे पर सभी इतिहासकार एकमत हैं। आपके नये भगवान सावरकर ने भी अपनी किताब '1857 का स्वातंत्र समर' में रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे और अन्य लोगों के साथ सिंधिया की गद्दारी का जिक्र किया है। इतिहास आप पढ़िये। दरअसल जयराम रमेश का यह ट्वीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक ट्वीट के जवाब में किया गया है। इससे पहले जयराम रमेश के ट्विटर पोस्ट के जरिए विवाद शुरू हुआ था। 

जयराम रमेश की इस पोस्ट पर मचा बवाल

जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि क्या वह सुभद्रा कुमारी चौहान की अमर कविता 'झांसी की रानी' को भूल गए हैं? अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। जयराम रमेश के इस ट्वीट का जवाब देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जवाहरलाल नेहरू की किताब गिल्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री का जिक्र करते हुए कहा कि कविताएं कम और इतिहास ज्यादा पढ़ें। इस प्रकार उन्होंने (मराठों) दिल्ली साम्राज्य को जीता। मराठा ब्रिटिश वर्चस्व के लिए चुनौती थे। लेकिन मराठा शक्ति ग्वालियर के महादजी सिंधिया के निधन के बाद टुकड़े टुकड़े हो गई।

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