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Hindi News भारत राजनीति "केस दर्ज होने के तीन साल के भीतर मिलेगा न्याय", गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में दिया बयान

"केस दर्ज होने के तीन साल के भीतर मिलेगा न्याय", गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में दिया बयान

नए आपराधिक कानून देश में लागू हो चुके हैं और पुराने कानूनों की जगह ले चुके हैं। इस बीच लोकसभा में आज खूब बहस देखने को मिली। इस दौरान इस कानून को लेकर अमित शाह ने कहा कि केस दर्ज होने के तीन साल के ही भीतर लोगों को न्याय मिलने का प्रावधान है।

Home Minister Amit Shah made a statement in parliament Justice will be delivered within three years - India TV Hindi Image Source : PTI अमित शाह

एक जुलाई (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि नये आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद उच्चतम न्यायालय के स्तर तक सभी मामलों में न्याय प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर मिलेगा। शाह ने नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उम्मीद जताई कि भविष्य में अपराधों में कमी आएगी और नए कानूनों के तहत 90 प्रतिशत मामलों में दोषसिद्धि होगी। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 सोमवार से पूरे देश में प्रभावी हो गए। 

पुराने कानूनों की जगह लेंगे नए कानून

इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के स्तर तक न्याय प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर मिल सकता है।’’ गृह मंत्री ने कहा कि तीनों आपराधिक कानूनों के लागू होने से भारत में दुनिया में सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी। उन्होंने कहा, ‘‘नए कानून, आधुनिक न्याय प्रणाली को स्थापित करते हैं जिनमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण, एसएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से समन और सभी जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हैं।’’ 

अमित शाह ने कही ये बात

शाह ने बताया कि नए कानून के तहत पहला मामला ग्वालियर में रविवार रात 12 बजकर 10 मिनट पर मोटरसाइकिल चोरी का दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि नए कानून न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता देंगे, जबकि औपनिवेशिक काल के कानूनों में दंडात्मक कार्रवाई को प्राथमिकता दी जाती थी। अमित शाह ने कहा कि नए कानून भारत की संसद ने बनाए हैं। नए कानून से ट्रायल में कमी आएगी। पुरानी धाराएं हटाकर नई धाराएं जोड़ी गई हैं, अब दंड की जगह न्याय पर जोर है। भारतीय कानून के अनुसार अब तक भारतीय दंड संहिता के अनुसार हर अपराधी को सजा मिलती थी। यह दंड संहिता 1860 में बनी थी। वहीं, अब भारतीय न्याय संहिता के तहत सजा मिलेगी, जिसको पिछले साल ही संसद की मंजूरी मिली। 

(इनपुट-भाषा)

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