हिमाचल का सियासी बवाल नहीं हुआ खत्म, बागी विधायकों से मिले विक्रमादित्य सिंह; अब आ रहे दिल्ली
पिछले दिनों विक्रमादित्य सिंह ने अपने इस्तीफे के वक्त मीडिया से कहा था कि सरकार सभी के योगदान से बनी है, लेकिन विधायकों की अनदेखी की गई और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की गई।
नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के कई विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इस क्रॉस वोटिंग का परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए। इसके साथ ही राज्य सरकार पर भी संकट आ गया। हालांकि विधानसभा में बजट पास कराकर सुखविंदर सिंह सुक्खी की सरकार ने बहुमत साबित तो कर दिया, एल्किन अभी संकट के बादल पूरी तरह से हटे नहीं।
चंडीगढ़ में हुई यह मुलाकात
आलाकमान भी सक्रिय हुआ और भूपिंदर सिंह हुड्डा, डीके शिवकुमार और भूपेश बघेल को पर्यवेक्षक बनाकर हिमाचल भेजा। उन्होंने कई बैठकें कीं। इसके बाद गुरुवार शाम को एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया कि सभी मसले सुलझा लिए गए हैं। लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठाने वाले कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह शुक्रवार को चंडीगढ़ में बागी विधायकों से मुलाकात के बाद दिल्ली पहुंचे हैं। हालांकि छह बागी विधायकों में से दो विधायकों ने विक्रमादित्य सिंह से मुलाकात नहीं की।
इस मुलाकात पर क्या बोले सीएम सुक्खू
वहीं विक्रमादित्य के बागी विधायकों के मिलने पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, "विक्रमादित्य सिंह कल कैबिनेट में थे, उनसे हमारी बातचीत हुई है और कैबिनेट बैठक के बाद वह शाम को चंडीगढ़ गए जहां ललित होटल में वह हमारी बागी विधायकों से मिले। बागी विधायकों में से कुछ कांग्रेस में वापस आना चाहते हैं। मेरी उनसे सुबह और दोपहर में बात हुई है। मैंने उनसे कहा कि आप हाईकमान से बात कर ले। एक बागी विधायक ने मुझसे कहा था कि वह वापस आना चाहते हैं लेकिन वहां पर CRPF तैनात कर दिए गए हैं। तो हम ऐसा काम नहीं करने वाले जब उनका मन होगा वो वापस आए और हम उनका स्वागत करेंगे क्योंकि जोर-जबरदस्ती हिमाचल की संस्कृति में नहीं है।"
चंडीगढ़ से दिल्ली पहुंचेंगे विक्रमादित्य
जानकारी के अनुसार, विक्रमादित्य सिंह आज चंडीगढ़ से दिल्ली पहुंचे हैं। हालांकि वह आधिकारिक तौर पर भारत सरकार के मिनिस्ट्री आफ रोड्स एंड ट्रांसपोर्ट की एक बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे हैं। लेकिन इस दौरान वह गांधी परिवार, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कांग्रेस आलाकमान के अन्य कई बड़े नेताओं से मुलाकात करके अपने परिवार की नाराजगी जताने का प्रयास करेंगे। माना जा रहा है कि आलाकमान उनकी बात सुनेगा और आने वाले दिनों में उस हिसाब से फैसले लेगा।
28 फरवरी को मंत्रिपरिषद से दिया था इस्तीफा
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने 28 फरवरी को मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि विधायकों को दरकिनार किया गया, उनकी अनदेखी की गई और राजकोष का कुप्रबंधन हुआ। उन्होंने कहा था, ''इन सभी मुद्दों को समय-समय पर दिल्ली में हाईकमान के सामने उठाया गया, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया।'' इसके बाद केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह से मुलाकात की थी और उनके बेटे विक्रमादित्य को लेकर भी चर्चा की गई।