हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन बीजेपी में हुईं शामिल, JMM के सभी पदों से दिया इस्तीफा
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की विधायक सीता सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। आज उन्होंने जेएमएम के सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी ज्वॉइन कर लिया।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को बड़ा झटका लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और जेएमएम की विधायक सीता सोरेन ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद जेएमएम अध्यक्ष शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन दोपहर 2:00 बजे अपनी दो बेटियों- जयश्री और राजश्री के साथ बीजेपी में शामिल हो गईं। उन्होंने विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया है। सीता सोरेन जामा क्षेत्र से विधायक हैं। हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और झारखंड में चपंई सोरेन को नए मुख्यमंत्री बनाए जाने के दौरान से ही सीता सोरेन नाराज बताई जा रही थीं।
अपने ससुर शिबू सोरेन को भेजी चिट्ठी
सीता सोरेन इस्तीफा के संबंध में एक चिट्ठी लिखी है और इसे पार्टी अध्यक्ष यानी अपने ससुर शिबू सोरेन को भेजी है। सीता सोरेने ने कह, "मैं झारखंड मुक्ति मोर्चा की केंद्रीय महासचिव और सक्रिय सदस्य हूं। वर्तमान में पार्टी की विधायक हूं। अत्यंत दुखी हृदय के साथ अपना इस्तीफा दे रही हूं।"
"पार्टी उन लोगों के हाथों में चली गई है, जिनके..."
उन्होंने कहा, "मेरे स्वर्गीय पति दुर्गा सोरेन झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे। उनके निधन के बाद से ही मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार रहे हैं। पार्टी और परिवार के सदस्यों द्वारा हमें अलग-थलग किया गया है, जो मेरे लिए अत्यंत पीड़ादायक रहा है। मैंने उम्मीद की थी कि समय के साथ स्थितियां सुधरेंगी, लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। झारखंड मुक्ति मोर्चा को मेरे स्व. पति ने अपने त्याग और समर्पण, नेतृत्व क्षमता के बल पर एक महान पार्टी बनाया। आज वह पार्टी नहीं रही। मुझे यह देखकर गहरा दुख होता है कि पार्टी अब उन लोगों के हाथों में चली गई है, जिनके दृष्टिकोण और उद्देश्य हमारे मूल्यों और आदर्शों से मेल नहीं खाते।"
सीता सोरेन को मंत्री बनाए जाने की थी चर्चा
झारखंड में नए सीएम के तौर पर चंपई सोरेन ने 2 फरवरी को पद की शपथ ली थी। इस दौरान चर्चा थी कि सीता सोरेन को मंत्री बनाया जा सकता है। चर्चा थी कि सीता सोरेन को महिला आयोग या किसी अन्य आयोग का अध्यक्ष बनाकर मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
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