Hemant Soren News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता चुनाव आयोग के मंतव्य के बाद रद्द हो सकती है। खबरों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की राय दी है। इससे झारखंड में सियासी उबाल पैदा हो गया है और झारखंड मुक्ति मोर्चा अब आगे की रणनीति बनाने में जुट गई है। इस बीच कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को रांची बुला लिया है। आपको बता दें कि सदस्यता जाने की सूरत में भी हेमंत के पास कुछ विकल्प हैं जिनमें उनका खुद मुख्यमंत्री बने रहना भी शामिल है।
आज ही दिल्ली से रांची लौटे गवर्नर रमेश बैस
बता दें कि चुनाव आयोग ने सोरेन के खनन पट्टा मामले में अपना मंतव्य राजभवन को भेज दिया था। झारखंड के गवर्नर रमेश बैस पिछले 3 दिनों से दिल्ली में थे और उनकी यात्रा को निजी दौरा बताया गया था। वह आज ही दिल्ली से रांची लौटे हैं। रांची एयरपोर्ट से बाहर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा था कि चुनाव आयोग से प्राप्त सीलबंद लिफाफे की रिपोर्ट में अभी उन्होंने पढ़ा नहीं है, पढ़ने के बाद ही वे कुछ बता पाएंगे। हालांकि माना जा रहा है कि राज्यपाल आने वाले समय में सोरेन की सदस्यता रद्द करने का नोटिफिकेशन जारी कर सकते हैं।
झारखंड के सीएम सोरेन क्यों फंसे मुश्किल में?
बता दें कि गवर्नर बैस ने इस मामले को आयोग को भेजा था। मामले में याचिकाकर्ता बीजेपी है जिसने जन प्रतिनिधि कानून की धारा 9 ए का उल्लंघन करने के लिए सोरेन को अयोग्य ठहराने की मांग की थी। संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत, किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन के किसी सदस्य की अयोग्यता से संबंधित कोई मामला आता है तो इसे गवर्नर के पास भेजा जाएगा और उनका फैसला अंतिम होगा। इसमें कहा गया है, 'ऐसे किसी भी मामले पर कोई निर्णय देने से पहले राज्यपाल निर्वचन आयोग की राय लेंगे और उस राय के अनुसार कार्य करेंगे।' ऐसे मामलों में चुनाव आयोग की भूमिका अर्द्धन्यायिक निकाय की तरह होती है।
Image Source : PTIहेमंत सोरेन के लिए मौजूदा मुश्किलों से पार पाना आसान नहीं होगा।
सदस्यता जाने के बावजूद सीएम बने रह सकते हैं सोरेन
विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिए जाने के बाद भी सोरेन मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। इसके लिए उन्हें नए सिरे से शपथ लेनी होगी और एक बार फिर से मंत्रिमंडल का गठन करना होगा। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन्हें 6 महीने के अंदर ही विधानसभा चुनाव जीतना होगा, जिसके बाद वह अपना बाकी का कार्यकाल पूरा कर सकते हैं। हालांकि यह विकल्प भी तभी काम आएगा जब चुनाव आयोग उनके दोबारा चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। अगर सोरेन पर प्रतिबंध लग जाता है तो यह विकल्प किसी काम नहीं आएगा।
पत्नी या मां को सीएम बना सकते हैं हेमंत सोरेन
विधायकी जाने के बाद हेमंत सोरेन अपनी पत्नी या मां में से किसी एक को सीएम बना सकते हैं। हालांकि इस विकल्प का इस्तेमाल करना सोरेन के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि इसके लिए उन्हें गठबंधन के बाकी सदस्यों की भी सहमति चाहिए होगी। इसके अलावा परिवार में भी सबको मनाना जरूरी होगा क्योंकि सोरेन की भाभी सीता सोरेन भी विधायक हैं। ऐसे में इस विकल्प का इस्तेमाल करना सोरेन के लिए आसान नहीं दिख रहा है। इन सब विकल्पों के अलावा सोरेन के पास कोर्ट जाने का विकल्प भी खुला है।
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