Gyanvapi Case: ज्ञानवापी पर आए कोर्ट के फैसले पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है। उन्होंने राजस्थान के जयपुर में कहा, 'मेरा मानना है कि वो फैसला (ज्ञानवापी फैसला) गलत है। ये फैसला पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है। ये भविष्य में ऐसे बहुत से मसलों को खोल देगा। ये फैसला देश में अस्थिर प्रभाव पैदा कर सकता है।'
ओवैसी ने हिजाब मामले को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, 'हिजाब मुसलमानों के लिए जरूरी धार्मिक प्रथा है। अगर सरकारी स्कूल अन्य धार्मिक प्रतीकों की अनुमति दे रहे हैं, तो इसको क्यों नही दिया जा रहा है। महिला अपने सर पर पहन रही है अपने दिमाग पर नहीं। अगर कोई लड़की हिजाब पहनना चाहती है तो आप उसे क्यों रोकना चाहते हैं?'
ज्ञानवापी पर क्या है कोर्ट का फैसला
हालही में ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर वाराणसी जिला न्यायालय का बड़ा फैसला आया था। न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि ज्ञानवापी का मामला सुनने लायक है। इसलिए इस मामले में सुनवाई जारी रहेगी। जिला कोर्ट का ये फैसला हिंदू पक्ष के हक में आया था। ज्ञानवापी परिसर को लेकर दायर मुकदमा नंबर 693/2021 (18/2022) राखी सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने अपना ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा था कि, उपरोक्त मुकदमा न्यायालय में सुनवाई के योग्य है। जिसके बाद प्रतिवादी संख्या 4 अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी के द्वारा दिए गए 7/11 के प्रार्थना पत्र को उन्होंने खारिज कर दिया।
समझिए क्या है पूरा मामला
ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग को लेकर वाराणसी के जिला जज ए.के.विश्वेश की अदालत में चल रहा मुकदमा सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हुई थी। अदालत ने इस मामले में आदेश को सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने सोमवार 12 सितंबर को इस पर आदेश सुनाया।
दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की निवासी चार महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हिंदू देवी देवताओं की प्रतिदिन पूजा अर्चना का आदेश देने के आग्रह वाली एक याचिका पिछले साल सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में दाखिल की थी। उसके आदेश पर पिछली मई में ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था।
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