Ghulam nabi Azad: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। आजाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पेज का इस्तीफा भेजा है। हालांकि इसी बीच जानकारी सामने आ रही है कि आजाद अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे। जानकारी यह भी सामने आ रही है कि जी 23 के कई और नेता भी कांग्रेस छोड़ सकते हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व मंत्री और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जीएम सरूरी ने आजाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वह बीजेपी में शामिल नहीं होंगे बल्कि वह जल्द ही अपनी एक नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे। उनके कई समर्थकों ने इस्तीफा दिया है। आजाद एक बड़े नेता रहे हैं उन्होंने कांग्रेस में अपने 50 साल दिए।
दरअसल कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में कहा है कि उन्होंने कांग्रेस से सारे संबंध तोड़ लिए हैं।
कांग्रेस ने आजाद को बनाया था चुनाव अभियान समिति प्रमुख
हाल ही में, उन्होंने पार्टी द्वारा नामित किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर अभियान समिति के प्रमुख का पद छोड़ दिया था। उच्च सदन में विपक्ष के नेता के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद राज्यसभा सदस्यता के लिए नजरअंदाज किए जाने के बाद से आजाद नाखुश थे। वह पार्टी जी-23 समूह के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिन्होंने पार्टी में व्यापक सुधारों की मांग की थी।
गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के समूह जी-23 के अहम नेताओं में से एक थे। इससे पहले कपिल सिब्बल ने भी कांग्रेस से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी के सहयोग से राज्यसभा की राह पकड़ी थी। गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। जम्मू कश्मीर में आने वाले समय में चुनाव हैं। ऐसे में गुलाम नबी आजाद के पार्टी से इस्तीफे के बाद जम्मू कश्मीर में कांग्रेस पार्टी बहुत कमजोर हो गई है। 73 वर्षीय आजाद को कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव अभियान समिति की कमान भी सौंपी थी।
राहुल गांधी के पार्टी में सक्रिय होते ही दरकिनार होते गए वरिष्ठ नेता
दरअसल पिछले दो से ढाई दशकों में गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर में कांग्रेस पार्टी के झंडाबरदार थे। वे जम्मू कश्मीर के सीएम भी रहे। लेकिन पिछले कुछ समय से वे अपनी ही पार्टी में हाशिए पर रखे गए। राहुल गांधी के राजनीति में सक्रिय होते ही जिन वरिष्ठ कांग्रेसियों को दरकिनार किया जाने लगा, उनमें से एक गुलाम नबी आजाद भी थे। उन्होंने मौके बे मौके अपना विरोध भी पार्टी आलाकमान को जताया।
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