चिकमगलुरू: कर्नाटक के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री डीबी चंद्रगौड़ा का मंगलवार की सुबह बीमारियों के कारण चिकमगलुरू के मुदीगेरे तालुक में स्थित दरादाहल्ली में उनके आवास पर निधन हो गया। 26 अगस्त 1936 को जन्मे चंद्रगौड़ा 87 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी और 4 बेटियां हैं। चंद्रगौड़ा परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए आज शाम तक मुदीगेरे में अद्यंताया रंगमंदिर में रखा जाएगा और उनका अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक स्थान दरादाहल्ली में किए जाने की संभावना है।
1971 में राजनीति में आए थे चंद्रगौड़ा
सभी चार सदनों, विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके चंद्रगौड़ा विभिन्न राजनीतिक दलों जैसे कि प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, कर्नाटक क्रांति रंग, जनता पार्टी, जनता दल, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा भी रहे। वह उस वक्त चर्चा में आए थे जब उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चिकमगलुरु निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का रास्ता साफ करने के लिए 1978 में लोकसभा सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया था और उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए काम किया था। पेशे से वकील चंद्रगौड़ा 1971 में कांग्रेस के जरिए राजनीति में आए। वह 3 बार लोकसभा के और एक बार राज्यसभा के सदस्य रहे।
1978 में इंदिरा गांधी के लिए छोड़ी सीट
चंद्रगौड़ा ने 1971 और 1977 में कांग्रेस के टिकट पर चिकमगलुरु संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इंदिरा गांधी के लिए सीट छोड़ने के बाद चंद्रगौड़ा कांग्रेस की तरफ से 1978 से 1983 तक विधान परिषद सदस्य बने और देवराज उर्स मंत्रिमंडल में मंत्री बने। बाद में बदलते राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए उन्होंने उर्स के साथ कांग्रेस छोड़ दी और कर्नाटक क्रांति रंग में शामिल हो गए। चंद्रगौड़ा 3 बार विधानसभा सदस्य रहे। उन्होंने 2 बार तीर्थहल्ली निर्वाचन क्षेत्र से जनता पार्टी और एक बार कांग्रेस के टिकट पर श्रृंगेरी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
2009 में बीजेपी से सांसद बने थे चंद्रगौड़ा
चंद्रगौड़ा एस. एम. कृष्णा सरकार में कानून और संसदीय मामलों के मंत्री बने थे। वह 1986 में जनता पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सदस्य बने। बाद में जनता पार्टी का नाम जनता दल हो गया था। उन्होंने 2009 में बेंगलुरु उत्तर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे। विभिन्न सरकारों में मंत्री पद पर रहे गौड़ा 1983 से 1985 तक राज्य विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे और विधानसभा तथा विधान परिषद दोनों में विपक्ष के नेता भी रहे।
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