नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने यूक्रेन के अपने समकक्ष दमित्रो कुलेबा के साथ फोन पर बात की। पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा के करीब दस दिन बाद दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत हुई है। वहीं विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि बातचीत द्विपक्षीय संबंधों को और विकसित करने पर केंद्रित थी। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच फोन पर बातचीत मोदी की आठ-नौ जुलाई की मॉस्को यात्रा की यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की द्वारा आलोचना किये जाने की पृष्ठभूमि में हुई।
एक्स पर दी जानकारी
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटाफार्म एक्स एक पोस्ट में लिखा, ‘‘आज दोपहर में यूक्रेन के विदेश मंत्री दमित्रो कुलेबा के साथ एक अच्छी बातचीत हुई। हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और विकसित करने के बारे में चर्चा हुई।’’ वहीं यूक्रेन के विदेश मंत्री कुलेबा ने भी कहा कि बातचीत में यूक्रेन-भारत संबंधों को और विकसित करने पर चर्चा हुई। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘इस साल की शुरुआत में नई दिल्ली की मेरी यात्रा और इटली में राष्ट्रपति जेलेंस्की और प्रधानमंत्री मोदी के बीच बैठक के बाद, मैंने यूक्रेन-भारत द्विपक्षीय संबंधों को आगे और बढ़ाने के बारे में अपने भारतीय समकक्ष डॉ. जयशंकर से बात की।’’
जेलेंस्की ने पीएम मोदी के रूस दौरे पर जताई थी निराशा
बता दें कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने 9 जुलाई को पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा को ‘बड़ी’ निराशा और शांति प्रयासों के लिए ‘विनाशकारी झटका’ करार दिया था। ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में जेलेंस्की ने विशेष रूप से यूक्रेन पर रूस के मिसाइल हमलों का उल्लेख किया था जिसमें कीव में बच्चों के अस्पताल पर किए गए हमले का भी जिक्र था। जेलेंस्की ने कहा था, ‘‘एक रूसी मिसाइल ने यूक्रेन के सबसे बड़े, बच्चों के अस्पताल पर हमला किया, जिसमें युवा कैंसर रोगियों को निशाना बनाया गया। कई लोग मलबे के नीचे दब गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को ऐसे दिन मॉस्को में दुनिया के सबसे खूनी अपराधी को गले लगाते देखना बेहद निराशाजनक है और शांति प्रयासों के लिए एक विनाशकारी झटका है।’’
पीएम मोदी का रूस दौरा
यूक्रेन पर हमले के बाद रूस की अपनी पहली यात्रा में मोदी ने आठ और नौ जुलाई को मॉस्को का दौरा किया था। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी शिखर वार्ता में मोदी ने स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान पर संभव नहीं है और बम, बंदूक और गोलियों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं होती। (इनपुट- भाषा)
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