मुंबई: पिछले कुछ हफ्तों से महाराष्ट्र की सियासत में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर का मुद्दा गरमाया हुआ है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगातार सावरकर का अपमान किए जाने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना आक्रामक है। पूरे महाराष्ट्र में बीजेपी-शिंदे द्वारा सावरकर गौरव यात्रा निकाली गई। इस यात्रा के दौरान शिंदे-फडणवीस सरकार के नेताओं और मंत्रियों ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
सावरकर का मुद्दा छोड़ना नहीं चाहती है बीजेपी-शिंदे सरकार
शरद पवार द्वारा समझाने के बाद फिलहाल कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि अब राहुल गांधी या उनकी पार्टी की तरफ से सावरकर पर कोई बयान नहीं दिया जाएगा, लेकिन शिंदे-फडणवीस सरकार इतनी आसानी से इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती है। यही वजह है कि महाराष्ट्र सरकार ने फैसला लिया है कि वीर सावरकर की जयंती के अवसर पर पूरे महाराष्ट्र में 'स्वातंत्र्यवीर गौरव दिन' का आयोजन किया जाएगा। बता दें कि हर साल 28 मई को सावरकर जयंती मनाई जाती है लेकिन शिंदे सरकार ने अब से इस दिन को भव्य तरीके से मनाने की योजना बनाई है।
भव्य तरीके से मनाई जाएगी वीर सावरकर की जयंती महाराष्ट्र CMO के दफ्तर ने इस बारे में ट्वीट कर कहा है कि स्वातंत्र्यवीर सावरकर की 28 मई को पड़ने वाली जयंती को राज्य सरकार 'स्वातंत्र्यवीर गौरव दिन' के रूप में मनाएगी। ट्वीट में लिखा है, ‘सावरकर के विचारों को जन-जन तक फैलाने के लिए इस दिन विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। देश की उन्नति और आजादी में सावरकर का बहुत बड़ा योगदान है।’ इसमें कहा गया है कि मंत्री उदय सामंत ने सावरकर की देशभक्ति, धैर्य और प्रगतिशील विचारों को आगे बढ़ाने के लिए 'स्वातंत्रवीर गौरव दिन' के आयोजन की मांग की थी जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
उद्धव ठाकरे के लिए क्यों हो सकती है मुश्किल?
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) जिस महा विकास आघाड़ी की सदस्य है, उसके दो अन्य घटक दल कांग्रेस और NCP है। कांग्रेस का इतिहास बार-बार सावरकर को अपमानित करने का रहा है, और ऐसे में शिंदे-बीजेपी द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने के बाद उद्धव के लिए असहज स्थिति पैदा होगी। उद्धव अच्छी तरह जानते हैं कि सावरकर के मुद्दे पर कांग्रेस के कुछ भी कहने से उनकी पार्टी को भी नुकसान पहुंच सकता है।
महाराष्ट्र की सियासत में सावरकर संवेदनशील मुद्दा क्यों हैं?
राहुल गांधी भले ही सावरकर को ‘माफी वीर’ कहकर उनका अपमान करते रहें, लेकिन सावरकर के प्रति महाराष्ट्र में जन भावना बहुत अलग है। महाराष्ट्र में विनायक दामोदर सावरकर को स्वातंत्र्यवीर के रूप में पुकारा जाता है। देश की आजादी के लिए कई वर्षों तक काले पानी की सजा भुगतना, जेल की कालकोठरी में रहने के बावजूद क्रांति की अलख जलाए रखना, अपने वैज्ञानिक सोच के जरिए समाज का प्रबोधन करना जैसे कई मुद्दे हैं जिनकी वजह से महाराष्ट्र के लोग सावरकर का बहुत आदर करते हैं, उनको पुजते है। महाराष्ट्र में सावरकर के प्रति इस भावना को बीजेपी भलीभांति जानती है और इसीलिए इस मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश कर रही है।
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