जम्मू-कश्मीर बैंक मामले में ईडी ने उमर अब्दुल्ला से पूछताछ की, पार्टी ने कहा- यह दुर्भावनापूर्ण था
प्रवक्ता ने कहा कि अब्दुल्ला को दिल्ली में ईडी के सामने इस आधार पर पेश होने के लिए कहा गया था कि जांच के सिलसिले में उनकी उपस्थिति जरूरी है।
Highlights
- ईडी ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से गुरुवार को 5 घंटे तक पूछताछ की।
- नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इसे विधानसभा चुनावों से पहले ‘सियासी कवायद’ करार दिया।
- उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है।
नयी दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से गुरुवार को 5 घंटे तक पूछताछ की। यह पूछताछ करीब 12 साल पहले जब वह सीएम थे तब जम्मू-कश्मीर बैंक द्वारा एक इमारत की खरीद से संबंधित मामले से जुड़ी थी। वहीं, उनकी पार्टी ने इसे केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले ‘सियासी कवायद’ करार दिया। करीब 5 घंटे से ज्यादा वक्त नई दिल्ली के ईडी कार्यालय में बिताने के बाद अब्दुल्ला ने कहा कि उन पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है और ‘मैं जितना जवाब दे सकता था दिया।’
‘अगर जरूरत हुई तो मैं आगे मदद करूंगा’
अब्दुल्ला ने कहा कि ‘अगर उन्हें मेरी जरूरत हुई’ तो मैं आगे मदद करूंगा। अब्दुल्ला को केंद्रीय एजेंसी ने पिछले हफ्ते समन भेजा था। अधिकारियों में मुताबिक मामला 2010 में बांद्रा-कुर्ला में जम्मू-कश्मीर बैंक की इमारत की खरीद से संबंधित है। बैंक में 68 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार की है। करीब 65 हजार वर्ग फीट की संपत्ति को 172 करोड़ रुपये में खरीदा गया था। सूत्रों ने कहा कि निदेशक मंडल ने मुंबई में एक इमारत की तलाश के लिए 2 सदस्यीय समिति का गठन किया था और उसकी सिफारिश के आधार पर इमारत, जो आज तक बैंक की सबसे बड़ी संपत्ति है, की खरीद के लिए मंजूरी दे दी गई थी।
संपत्ति की खरीद में सीएम की कोई भूमिका नहीं थी
संपत्ति की खरीद को निदेशक मंडल ने मंजूरी दी थी और मुख्यमंत्री की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। अब्दुल्ला ने जहां ईडी द्वारा की गई पूछताछ के बारे में कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पार्टी नेता से पूछताछ करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय के कदम की निंदा करते हुए इसे पूर्व मुख्यमंत्री का ‘द्वेषपूर्ण बदनामी’ और केंद्रीय जांच एजेंसी का निरंतर दुरुपयोग करार दिया। पार्टी ने एक बयान में आरोप लगाया, ‘एक समय था जब चुनाव आयोग द्वारा चुनावों की घोषणा की जाती थी लेकिन अब ऐसा लगता है कि ईडी द्वारा उनकी घोषणा की जाती है।’
‘जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का एक और उदाहरण’
पार्टी ने अपने बयान में कहा कि ईडी की कार्रवाई केंद्र सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का एक और उदाहरण है। सूत्रों के अनुसार, अब्दुल्ला ने पूछताछ के दौरान कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में, भवन की खरीद में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। बैंक आरबीआई की निगरानी के अधीन था। मीडिया में आई खबरों पर कि अब्दुल्ला नई दिल्ली में बैंक के पूर्व निदेशक निखिल गरवारे से जुड़ी एक संपत्ति पर रह रहे थे, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने राष्ट्रीय राजधानी में अपने उपाध्यक्ष के निवास के साथ-साथ कार्यालय के रूप में उपयोग के लिए एक फ्लैट किराए पर लिया था जहां वह पार्टी सांसदों और अन्य लोगों के साथ बैठक करते हैं।
‘बीजेपी को कोई ठोस परिणाम नहीं मिलेगा’
सूत्रों ने कहा, ‘इसके लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस और मुंबई की एक कंपनी के बीच एक किराया समझौता है। किराए का भुगतान नियमित रूप से पार्टी के खातों से चेक द्वारा किया जाता है। हाल के वर्षों में हमने देखा है कि जहां भी राज्य के चुनाव होने होते हैं, ईडी जैसी एजेंसियां आगे बढ़ती हैं और उन पार्टियों को निशाना बनाती हैं जो बीजेपी को चुनौती देती हैं।’ उन्होंने कहा कि उनके उपाध्यक्ष को समन भी उसी क्रम में है। प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस ‘मछली फंसाने के अभियान’ से बीजेपी को कोई ठोस परिणाम नहीं मिलेगा और जब भी आवश्यकता होगी लोग नेशनल कॉन्फ्रेंस को जोरदार समर्थन देंगे।’
‘अब्दुल्ला नोटिस के मुताबिक ही पेश हुए’
प्रवक्ता ने कहा कि अब्दुल्ला को दिल्ली में ईडी के सामने इस आधार पर पेश होने के लिए कहा गया था कि जांच के सिलसिले में उनकी उपस्थिति जरूरी है। प्रवक्ता ने कहा, ‘रमजान का पवित्र महीना होने और दिल्ली में उनका प्राथमिक निवास नहीं होने के बावजूद, अब्दुल्ला ने स्थगन या स्थान परिवर्तन की मांग नहीं की और नोटिस के अनुसार पेश हुए।’ प्रवक्ता ने कहा, ‘बीजेपी का सार्थक विरोध करने वाले किसी भी राजनीतिक दल को बख्शा नहीं गया है, चाहे वह ईडी, सीबीआई, एनआईए, एनसीबी हो, सभी का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया गया है।’ (भाषा)