Delhi News: कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि 14 अगस्त के दिन 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वास्तविक मंशा सबसे दुखद ऐतिहासिक घटनाओं को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की है। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि विभाजन की त्रासदी का इस्तेमाल नफरत और पूर्वाग्रह की भावना को भड़काने के लिए नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नफरत की राजनीति हारेगी और कांग्रेस गांधी, नेहरू, पटेल तथा अन्य नेताओं की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्र को एकजुट करने का प्रयास जारी रखेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल घोषणा की थी कि लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त के दिन विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री पर राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप
रमेश ने ट्वीट किया, ''14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने के पीछे प्रधानमंत्री की वास्तविक मंशा सबसे दुखद ऐतिहासिक घटनाओं को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की है। लाखों लोग विस्थापित हुए और जानें गईं। उनके बलिदानों को भुलाया या निरादर नहीं किया जाना चाहिए।'' उन्होंने लिखा, ''बंटवारे की त्रासदी का दुरुपयोग नफरत और पूर्वाग्रह की भावना को भड़काने के लिए नहीं होना चाहिए। सच यह है कि सावरकर ने द्वि-राष्ट्र का सिद्धांत दिया और जिन्ना ने इसे आगे बढ़ाया। पटेल ने लिखा था कि मुझे लगता है कि अगर विभाजन स्वीकार नहीं किया गया, तो भारत कई टुकड़ों में बंट जाएगा।''
कांग्रेस ने पीएम मोदी से पूछा सवाल
कांग्रेस नेता ने पूछा, ''क्या प्रधानमंत्री आज जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद करेंगे, जिन्होंने शरत चंद्र बोस की इच्छा के खिलाफ बंगाल के विभाजन का समर्थन किया था और वह तब स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट में शामिल हुए थे जब विभाजन के दर्दनाक परिणाम स्पष्ट रूप से सामने आ रहे थे?'' रमेश ने ट्वीट किया, ''देश को बांटने के लिए आधुनिक दौर के सावरकर और जिन्ना का प्रयास आज भी जारी है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गांधी, नेहरू, पटेल और अन्य नेताओं की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्र को एकजुट करने का प्रयास जारी रखेगी। नफरत की राजनीति हारेगी।'' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभाजन के दौरान जान गंवाने वाले लोगों को रविवार को श्रद्धांजलि दी और इतिहास के उस दुखद काल के पीड़ितों के धैर्य और सहनशक्ति की सराहना की। गौरतलब है कि 1947 में भारत के विभाजन के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगों में लाखों लोग विस्थापित हुए थे और बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे।
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