नई दिल्ली: क्या NCP सुप्रीमो शरद पवार को यूपीए में साइडलाइन करने की तैयारी शुरू हो गई है? कांग्रेस सूत्रों की मानें तो यह काम शुरू हो चुका है। आगामी लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों को इकट्ठा करने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार को देना इसी रणनीति का हिस्सा है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस को अब शरद पवार पर भरोसा नहीं रह गया है। कांग्रेस को यह भी डर सता रहा है कि अगर शरद पवार की मौजूदगी में यूपीए की चुनावी रणनीति पर चर्चा की गई तो यह जानकारी BJP को लीक हो सकती है।
‘शरद पवार UPA का हिस्सा तो रहेंगे, लेकिन...’
सूत्रों के मुताबिक, इसी आशंका के मद्देनजर अब कांग्रेस ने तय किया है कि शरद पवार UPA का हिस्सा जरूर रहेंगे लेकिन अहम रणनीतिक चर्चाओं में उन्हें शामिल नहीं किया जाएगा। सभी क्षेत्रीय दलों के बीच नीतीश कुमार समन्वयक के रूप में काम करेंगे। नीतीश कुमार अनुभवी नेता है, उनके सभी क्षेत्रीय दलों से अच्छे संबंध हैं। बिहार के मुख्यमंत्री के इसी अनुभव का लाभ कांग्रेस यूपीए के लिए लेना चाहती है। जहां नीतीश के सीधे संबंध नहीं होंगे वहां कांग्रेस खुद क्षेत्रीय दलों से बात कर UPA को मजबूत करने की कोशिश करेगी।
‘पवार के बयानों से बेहद नाराज हैं राहुल गांधी’
इसी कड़ी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल उद्धव ठाकरे से चर्चा करने के लिए खुद मुंबई आने वाले हैं। नीतीश कुमार को समन्वयक बनाकर कांग्रेस ने NCP को यह संदेश दिया है कि वह इस मुगालते में न रहे कि शरद पवार देश के सबसे बड़े नेता हैं और वही सभी क्षेत्रीय दलों को एक साथ लाने का काम कर सकते हैं। विपक्ष के अहम मुद्दों को एक के बाद एक खारिज कर बीजेपी को फायदा पहुंचाने वाले शरद पवार के बयान से भी राहुल गांधी बहुत नाराज बताए जा रहे हैं।
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