बेंगलुरु: तेलंगाना विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और सत्तारुढ़ भारत राष्ट्र समिति यानी कि BRS के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। 30 नवंबर को होने वाली वोटिंग से पहले कांग्रेस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सूबे में अगली सरकार उसी की बने। यही वजह है कि कांग्रेस ने तेलंगाना चुनाव में कर्नाटक के 10 मंत्रियों और 48 वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रबंधन के लिए पड़ोसी राज्य में भेजा है। माना जा रहा है कि पार्टी कर्नाटक में अपनी ताकतों का इस्तेमाल करते हुए तेलंगाना में जीत अनुकरण करना चाहती है।
चुनावी कैंपेन को लीड कर रहे शिवकुमार और सिद्धारमैया
कांग्रेस ने कर्नाटक के 10 मंत्रियों को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ग्रुप के प्रभारी के रूप में नियुक्त किया है जबकि पार्टी के 48 अन्य नेताओं को तेलंगाना के विभिन्न जिलों के लिए AICC विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के.शिवकुमार तेलंगाना में चुनावी अभियान में आगे बढ़कर लीड कर रहे हैं। शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख भी है। दोनों नेता इस समय चुनाव प्रचार के लिए तेलंगाना में हैं और कर्नाटक की तरह चुनावी राज्य में भी कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए काम कर रहे हैं।
तेलंगाना में प्रचार को लेकर कांग्रेस को घेर रही बीजेपी
AICC ग्रुप के इंचार्ज के रूप में मंत्री दिनेश गुंडू राव, प्रियांक खरगे, एम.सी.सुधाकर, एस.पी.पाटिल, के.एच.मुनियप्पा, कृष्णा बायरे गौड़ा, शिवराज एस.तंगदागी, जमीर अहमद खान, ईश्वर खंड्रे और बी नागेंद्र को नियुक्त किया गया है। तेलंगाना में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को 'चुनावी ड्यूटी' कांग्रेस को कर्नाटक में आलोचना का भी सामना करना पड़ रहा है जिसमें दल को विशेष रूप से BJP घेर रही है। BJP ने आरोप लगाया कि कर्नाटक में सूखे की स्थिति के बावजूद ये चुनाव प्रचार में शामिल है।
डिप्टी सीएम शिवकुमार ने दिया BJP के आरोपों का जवाब
डिप्टी सीएम शिवकुमार ने तेलंगाना के लिए रवाना होने से पहले आलोचना पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘बहुत ज्यादा नहीं, हमने सिर्फ 5 से 6 मंत्रियों को तैनात किया है। बीजेपी सरकार के दौरान भी उन्होंने तैनाती की थी।' उन्होंने कहा कि इसके साथ ही 40 कांग्रेस विधायकों को भी तैनात किया गया है। ये भी चुनाव प्रचार के लिए तेलंगाना जाएंगे। हालांकि, राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा को चुनावी राज्य में नहीं जाने के लिए कहा गया है क्योंकि सूखे की स्थिति के बीच राज्य में उनकी आवश्यकता होगी। (भाषा)
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