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Hindi News भारत राजनीति Congress President Election: खड़गे बने कांग्रेस अध्यक्ष: किसी की सीएम की कुर्सी बच गई तो कोई छोड़ेगा आला की कमान से तीर

Congress President Election: खड़गे बने कांग्रेस अध्यक्ष: किसी की सीएम की कुर्सी बच गई तो कोई छोड़ेगा आला की कमान से तीर

Congress President Election: गांधी परिवार को कांटों का ताज पहनाने के लिए एक सिर मिला. राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे का पार्टी में कद बढ़ा. गहलोत की बच गई सीएम की कुर्सी .

Mallikarjun Kharge- India TV Hindi Image Source : INDIA TV GFX Mallikarjun Kharge

सियासत में एक तीर से कई निशाने साधे जाते हैं. गांधी परिवार ने 'अप्रत्यक्ष आलाकमान' पद पर बने रहते हुए प्रत्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से जुड़ने से इनकार कर दिया. जैसा कि सर्वविदित है सबसे पहले बड़े से छोटे तक नेताओं ने मनाना शुरू किया कि अध्यक्ष पद 'परिवार' से ही कोई संभाले. राहुल गांधी के इनकार करने के बाद सियासी दांव पेंच में कई नाम उछले लेकिन अंत में दो नाम औपचारिक रूप से सामने आये. पहला शशि थरूर और दूसरा मल्लिकार्जुन खड़गे.

करीब 9500 डेलीगेट्स ने 17 अक्टूबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन हो, इसका चुनाव कर लिया. आज परिणाम मल्लिकार्जुन खड़गे के पक्ष में आया. प्रत्यक्ष तौर पर वह स्वतंत्र उम्मीदवार थे और पार्टी के डेलीगेट्स के बीच परिवार की सहमति से उम्मीदवार थे. ऐसा इसलिए कहा जा रहा था क्योंकि सभी बड़े नेता अगवानी में जुटे हुए थे और थरूर अकेला दिख रहे थे. चुनाव और परिणाम से पहले भी और बाद में भी  कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को यह स्पष्ट है कि कांग्रेस में शक्ति का स्त्रोत तो परिवार ही रहेगा. अर्थात 'परिवार' आलाकमान बना रहेगा. फिर यह चुनाव क्यों हुआ और इससे किसे क्या मिला, यह समझना जरूरी है.

कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव क्यों हुआ?

प्रत्यक्ष तथ्य- राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और गांधी परिवार से किसी के अध्यक्ष ना बनने का संकल्प दोहराया. और कहा कि पार्टी परिवार के बाहर किसी को अध्यक्ष चुने? 
मायने-दरअसल 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में लगातार ऐतिहासिक हार. 2014 से 2022 के बीच करीब 49 विधानसभा में 39 में हार. महज दो राज्यों में कांग्रेस खुद के दम पर सरकार में. ऐसे में नेतृत्व पर लगातार सवाल उठ रहा था. एक ऐसे 'सिर' की तलाश जिस पर कांटों भरा ताज पहनाया जा सके. 

इससे गांधी परिवार को क्या मिला?

1. परिवारवाद के आरोप से आजादी. 2024 में अब परिवारवाद के आरोप का धार जरा कुंद पड़ेगा.
2. पदयात्रा के जरिए यह स्पष्ट हो चुका है कि पार्टी के चेहरा राहुल गांधी ही रहेंगे, अर्थात आलाकमान का ओहदा भी सुरक्षित.
3. अब 2023 में 9 राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव में सफलता आलाकमान के हिस्से और असफलता की जिम्मेदारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के हिस्से. अर्थात एक ऐसा सिर जिस पर हार का ठीकरा फोड़ा जा सके.
4. सांगठनिक फेरबदल करते हुए बिना किसी नैतिक दबाव के राहुल गांधी अब अपनी युवा टीम और वैचारिक अप्रोच को कांग्रेस में लागू कर सकेंगे. 
5. कांग्रेस के ओल्ड गार्ड से परेशान राहुल गांधी अब जिस तरह पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ आर-पार में दिखे वैसे ही कई राज्यों में दिखेंगे. और इसकी नैतिक जवाबदेही से भी बच जाएंगे. क्योंकि निर्णयों पर औपचारिह मुहर अब राष्ट्रीय अध्यक्ष खडगे का लगेगा.

मल्लिकार्जुन खड़गे को क्या मिला?

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1. वफादारी के इनाम में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद.
2. पार्टी में कद बढ़ा

शशि थरूर को क्या मिला?

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1. जी 23 में नाम आने के बाद पार्टी में किनारा लगने से बच जाएंगे. गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल की तरह पार्टी में उपेक्षित होने की संभावना कम रहेगी. 
2. आलाकमान पर 2024 के लोकसभा चुनाव में उनको टिकट देने का भी नैतिक दबाव होगा, वरना विपक्ष आरोप लगाएगा.

गहलोत को क्या मिला?

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1. सीएम की कुर्सी विधानसभा चुनाव तक बच गई. 
2. एक बार फिर आलाकमान से रिश्ते सुधारने और अपनी उपयोगिता साबित करने का वक्त मिल गया.
3. स्थानीय स्तर पर सचिन पायलट के सियासी पर कतरने का मौका, आलाकमान की नजर में यह साबित करने का वक्त कि सचिन पायलट सूबे में सभी के स्वीकार्य नहीं हैं.

दिग्विजय सिंह को क्या फायदा?

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1. भारत जोड़ो यात्रा में अहम भूमिका निभा रहे दिग्विजय सिंह को एक बार फिर आलाकमान ने अपने पास अहम रोल दिया. अब उनकी चाहत राजनीतिक सलाहकार बनने की होगी. जैसे अहमद पटेल कभी सोनिया गांधी के थे.
2. एक लंबा वक्त राहुल गांधी के साथ बीताने और रणनीति तय करते हुए दिग्विजय सिंह बिना किसी विवाद के शक्ति के केंद्र बन जाएंगे.

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