संसद के मानसून सत्र का आज पहला दिन है। मुंबई की उत्तर-मध्य सीट से कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने लोकसभा सत्र में मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग की है। सांसद वर्षा गायकवाड़ ने मराठी भाषा के लिए सदन के अंदर ये आवाज उठाई है। वर्षा गायकवाड़ ने अपने भाषण की शुरुआत एक कविता से की।
मराठी भाषा का इतिहास 2 हजार साल पुराना
सदन में उन्होंने कहा कि 6 राज्यों की भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। मराठी भाषा का इतिहास 2 हजार साल पुराना है। वर्षा गायकवाड़ ने लोकसभा में मांग की है कि मराठी भाषा को भी विशेष दर्जा दिया जाना चाहिए।
मराठी के समृद्ध इतिहास के दिए गए थे पुख्ता सबूत
वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि राज्य में कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने 11 जुलाई 2014 को केंद्र को एक विशेषज्ञ रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें मराठी के समृद्ध इतिहास के पुख्ता सबूत दिए गए थे। मराठी को शास्त्रीय भाषा घोषित करने की बात कही गई थी। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले में लेखक रंगनाथ पठारे की समिति ने केंद्र को एक रिपोर्ट सौंपी है लेकिन अभी तक इसे मंजूरी नहीं मिली है।
10 सालों में मोदी सरकार ने नहीं लिया कोई फैसला
गायकवाड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने इस रिपोर्ट पर महाराष्ट्र से बदला लेते हुए पिछले दस सालों में कोई फैसला नहीं लिया है। लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की जनता ने मराठी भाषा और महाराष्ट्र के प्रति भाजपा की नफरत को नोटिस किया और उन्हें अच्छे से सबक भी सिखाया है।
अब तक ये 6 भाषाएं हैं शामिल
बता दें कि भारत सरकार ने साल 2004 में देश की शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा देना शुरू किया है। अभी तक इनमें 6 भाषाएं शामिल हैं। ये भाषाएं तमिल, तेलुगु, मलयालम, संस्कृत, कन्नड़ और ओडिया है। इसका उद्देश्य इन भाषाओं के अमूल्य विरासतों को बढ़ावा देना है। साथ ही एक अलग पहचान देना भी है।
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