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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने RSS के पूर्व सरसंघचालक गोलवलकर को लेकर ट्वीट किया, आरएसएस ने दिया जवाब

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक गोलवलकर गुरुजी को लेकर ट्वीट किया है जिसका RSS ने जवाब दिया है।

digvijay singh tweet- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO दिग्विजय सिंह के ट्वीट पर बीजेपी का जवाब

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक गोलवलकर गुरुजी को लेकर एक ट्वीट किया है, जिसमें गोलवलकर गुरुजी के फोटो के साथ कुछ शब्द भी लिखे गए हैं। लिखा है-गुरु गोलवलकर जी के दलितों पिछड़ों और मुसलमानों के लिए व राष्ट्रीय जल जंगल व ज़मीन पर अधिकार पर क्या विचार थे अवश्य जानिए। ⁦सदाशिव राव गोलवलकर ने अपनी पुस्तक we and our nationalhood identified में स्पष्ट लिखा है कि जब भी सत्ता हाथ लगे तो सबसे पहले सरकार की धन संपत्ति राज्यों की जमीन और जंगलों  पर अपने दो-तीन विश्वसनीय धनी लोगों  को सौंप दें। उसके बाद सात जन्मों तक सत्ता हाथ में नहीं जाएगी। 

आरएसएस ने दिया जवाब

उनके इस ट्वीट पर आरएसएस ने अपने प्रतिक्रिया दी है। आरएसएस ने इस पूरे ट्वीट को और फोटो को फोटोशॉप में एडिट बताया है। आरएसएस की ओर से आरएसएस के प्रसिद्धि प्रमुख सुनील आंबेकर ने लिखा है, श्री गोलवलकर गुरुजी के संदर्भ में यह ट्वीट तथ्यहिन है तथा सामाजिक विद्वेष उत्पन्न करने वाला है।संघ की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से यह झूठा photoshopped चित्र लगाया गया है। श्री गुरूजी ने कभी भी ऐसे नहीं कहा। उनका पूरा जीवन सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने में लगा रहा।

इससे पहले भी दिग्विजय ने कसा था तंज

दिग्विजय सिंह ने इससे पहले भी एक बार संघ को निशाने पर लिया था। मार्च में उन्होंने कहा था- मुझे संघ से कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते वे उनके कुछ सवालों का जवाब दे दें। दिग्विजय सिंह ने संघ से सवाल उस समय पूछे थे जब 2025 में शताब्दी वर्ष मनाने को लेकर पानीपत में संघ की बैठक चल रही थी। इस बैठक के पहले संघ के बड़े नेताओं ने संकेत दिया था कि संघ में महिलाओं की एंट्री से जुड़ा फैसला लिया जा सकता है।

दिग्विजय ने पूछे थे सवाल

इसी चर्चा के बीच दिग्विजय सिंह ने पूछा था, क्या संघ बदल रहा है? क्या महिलाओं और गैरहिंदुओं को संघ में प्रवेश देगा? क्या संघ का पंजीयन होगा? क्या संघ का बैंक अकाउंट होगा? क्या संघ में सरसंघचाक के पद पर महिला/गैर हिंदू का चयन/मनोनयन हो सकेगा? क्या संघ हिंदू राष्ट्र की मांग पर कायम रहेगा? क्या संघ को भारतीय संविधान पर भरोसा है? यदि वे इन प्रश्नों का सकारात्मक उत्तर दें तो मुझे संघ से कोई आपत्ति नहीं होगी।

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