विपक्ष की मीटिंग में कांग्रेस और AAP नेताओं में हुई थी जोरदार बहस, सूत्रों ने बताई ‘इनसाइड स्टोरी’
सूत्रों के जरिए यह बात सामने आ रही है कि पटना में हुई विपक्ष की मीटिंग के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं में जोरदार बहस हुई।
पटना: बिहार की राजधानी पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भले ही ‘सबकी सहमति’ की बात कही गई हो, लेकिन मीटिंग के दौरान कांग्रेस और AAP नेताओं के बीच तीखी बहस की भी खबरें सामने आई हैं। सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग के शुरू होते ही दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के अध्यादेश का मुद्दा उठाया, जिस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने उनसे पूछा कि वह जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय चुप्पी क्यों साधे हुए थे।
अखबार की कतरनें लेकर पहुंचे थे खरगे
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अपने साथ अखबारों की कई कतरनें लेकर गए थे जिनमें AAP नेताओं की तरफ से भड़काऊ बयान दिए गए थे। इनमें से एक कतरन AAP द्वारा गुरुवार को दिए गए बयान की थी जिसमें कांग्रेस से अध्यादेश पर अपना रुख साफ करने को कहा गया था। खरगे ने AAP नेताओं से पूछा कि मीटिंग से सिर्फ एक दिन पहले ऐसा बयान क्यों दिया गया? सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने आम आदमी पार्टी के नेताओं से कहा कि आप ‘कनपटी पर पिस्तौल तानकर फैसला नहीं करवा सकते।’
‘पत्र की भाषा में गंभीरता का अभाव था’
सूत्रों के मुताबिक, जब केजरीवाल ने खरगे को लिखी चिट्ठी का मुद्दा उठाया, तो कांग्रेस ने कहा कि पत्र कांग्रेस अध्यक्ष को ठीक से संबोधित नहीं किया गया था ऐसा लग रहा था जैसे यह कई लोगों को भेजा गया था। पार्टी ने कहा कि चिट्ठी में उस गंभीरता का अभाव है जो एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के अध्यक्ष को लिखे पत्र में होनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, खरगे ने कहा कि 'संसद सत्र के दौरान होने वाली विपक्ष की बैठकों में आम आदमी पार्टी नियमित रूप से शामिल होती है जहां साझा एवं सबकी सहमति वाली रणनीति तय होती है।'
'बैठक में उतने आक्रामक नहीं थे केजरीवाल'
सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में केजरीवाल उतने आक्रामक नहीं थे जितनी आक्रामक उनके पार्टी के बयान की भाषा थी। बता दें कि AAP ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली से संबंधित केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस के अपना रुख स्पष्ट करने तक वह उसकी मौजूदगी वाली किसी भी विपक्षी बैठक में शामिल नहीं होगी। इसने यह भी कहा कि कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वह दिल्ली के लोगों के साथ है या फिर मोदी सरकार के साथ खड़ी है।