चुनावी सीजन में मोदी सरकार ने मडिगा समेत एससी समुदाय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न समूहों के लिए बड़ा फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र के निर्देश पर इन समुदायों के हितों की रक्षा के लिए उठाए जा सकने वाले प्रशासनिक कदमों की जांच करने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति का गठन किया गया है। सचिवों की इस समिति की पहली बैठक 23 जनवरी को निर्धारित की गई है। आइए जानते हैं कि क्या है एससी वर्ग के विभिन्न समूहों की शिकायतें और क्यों इस मामले में एक्शन के लिए बनाई गई है ये समिति।
क्यों बनाई गई समिति?
मडिगा समेत एससी वर्ग में आने वाले अन्य समूहों का कहना है कि उन्हें लाभ का उचित हिस्सा समान रूप से नहीं मिल पा रहा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी के निर्देश पर सचिवों की समिति का गठन हुआ है। इस समिति में गृह मंत्रालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, जनजातीय मामलों के मंत्रालय, कानूनी मामलों के विभाग और सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी है मामला
भारत सरकार को मडिगा समुदाय सहित अनुसूचित जाति के उप-वर्गीकरण के लिए आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक सहित राज्य सरकारों की मांग मिल रही है। उनका कहना है कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण और कल्याण/विकासात्मक योजनाओं का लाभ अनुसूचित जाति समुदायों के बीच समान रूप से नहीं फैल रहा है। ये मामला यह मामला विभिन्न अदालतों के समक्ष रखा गया है और वर्तमान में 2011 की सिविल अपील संख्या 2317 में सुप्रीम कोर्ट की 7 न्यायाधीशों की पीठ के विचाराधीन है। समिति के गठन के बाद सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय समिति को आवश्यक सचिवों की सहायता प्रदान करेगा।
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