आंध्र प्रदेश केतिरुपति बालाजी मंदिर को लेकर जगन मोहन रेड्डी ने पीएम मोदी को खत लिखा है। इस खत में उन्होंने कहा है कि इस मंदिर के प्रसाद में मिलावट को लेकर जो आरोप लगाए गए हैं। वह पूरी तरह से निराधार हैं। चंद्रबाबू नायडू ने राजनीतिक लाभ के लिए ये आरोप लगाए हैं। उन्हें इसके लिए फटकार लगाई जानी चाहिए और मामले का पूरा सच सामने आना चाहिए।
चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाए हैं कि पिछली सरकार के दौरान तिरुपति बालाजी मंदिर में बनने वाले प्रसाद में मिलावटी घी का इस्तेमाल हुआ था। उन्होंने दावा किया कि लैब में हुई जांच में पाया गया है कि प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले घी में पशु की चर्बी पाई गई है। उनके इस खुलासे के बाद बवाल मचा हुआ है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात हो रही है। इस बीच पिछली सरकार और विपक्षी दलों ने आरोपों को झूठा करार दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।
खत में क्या लिखा?
जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री मोदी को जो पत्र लिखा है, उसमें कहा गया है, "चंद्रबाबू नायडू एक रोगग्रस्त और आदतन झूठ बोलने वाले व्यक्ति हैं, जो राजनीतिक उद्देश्यों के लिए करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाने के लिए इतने नीचे गिर गए हैं। यह जरूरी है कि झूठ फैलाने के उनके बेशर्म कृत्य के लिए नायडू को कड़ी से कड़ी फटकार लगाई जाए और सच्चाई को सामने लाया जाए। इससे नायडू द्वारा करोड़ों हिंदू भक्तों के मन में पैदा किए गए संदेह दूर होंगे और टीटीडी की पवित्रता में विश्वास बहाल होगा।"
50 साल बाद बदला था घी का टेंडर
तिरुपति मंदिर को लंबे समय से कर्नाटक की सरकारी कंपनी घी की सप्लाई करती थी। हालांकि, पैसे कम होने के कारण कंपनी ने घी देने से मना कर दिया। ऐसे में वाईएसआरसीपी सरकार ने पांच निजी कंपनियों से घी लेने का फैसला किया। आरोप है कि इसके बाद प्रसाद के स्वाद में खराबी आई। जांच करने पर पाया गया कि प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी में मिलावट है। पांच में से एक कंपनी के घी में मिलावट पाई गई है। हालांकि, कंपनी का कहना है कि उसने जांच करने के बाद रिपोर्ट के साथ घी का टैंकर भेजा था।
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