देहरादून: उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने गुरुवार को चंपावत सीट से इस्तीफा दे दिया, ताकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के वहां से उपचुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचने का रास्ता साफ हो सके। गहतोड़ी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिसे तत्काल स्वीकार कर लिया गया। इस दौरान गहतोड़ी के साथ अन्य नेताओं के अलावा प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक और कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा भी मौजूद थे। खंडूरी ने बताया कि चंपावत के विधायक ने अपनी विधानसभा सदस्यता छोड़ दी है और उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
‘सीट छोड़कर खुशी और सम्मान का अनुभव हो रहा है’
इस्तीफा देने के बाद गहतोड़ी ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट छोड़कर खुशी और सम्मान का अनुभव हो रहा है। गहतोड़ी ने कहा कि उन्होंने ‘युवा’ नेता की सहायता करने के लिए ऐसा किया ताकि उन्हें केंद्रीय नेतृत्व की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरे पांच साल का कार्यकाल मिले। उन्होंने कहा, ‘6 माह पहले चुनाव विशेषज्ञ विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 20 से ज्यादा सीटें नहीं दे रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने कड़ी मेहनत की और लोगों ने 70 में से 47 सीट पार्टी को दे दी। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है, यह सब धामी के युवा नेतृत्व की वजह से संभव हुआ।’
‘धामी को 5 साल का कार्यकाल मिले इसलिए खाली की सीट’ गहतोड़ी ने कहा, ‘मैंने सोचा कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की उनसे जो उम्मीदें हैं, उन्हें पूरा करने के लिए उन्हें पूरे 5 साल का कार्यकाल चाहिए और इसलिए मैंने सीट खाली कर दी।’ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने गहतोड़ी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री के लिए एक ऐसी सीट छोड़ी है, जहां से वह लगातार 2 बार से विधायक चुने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चंपावत के पार्टी कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री को वहां से उपचुनाव लड़ाने का प्रस्ताव भेजा था और अपने विधानसभा क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय गहतोड़ी ने उनके लिए सीट छोड़ने की इच्छा जतायी थी।
विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने किया था शानदार प्रदर्शन
उत्तराखंड में फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 70 में से 47 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता में आने का इतिहास रचा था। हालांकि, चुनाव में पार्टी की अगुवाई करने वाले धामी को खटीमा से हार का सामना करना पड़ा था। ‘उत्तराखंड फिर मांगे, मोदी-धामी की सरकार’ के नारे पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी ने एक बार फिर धामी को ही मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि, उनका 6 माह के भीतर सदन का सदस्य निर्वाचित होना जरूरी है, जिसके चलते वह उपचुनाव लड़ने वाले हैं। धामी के लिए अपनी सीट छोड़ने का पहला प्रस्ताव गहतोड़ी ने ही दिया था।
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