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Hindi News भारत राजनीति 'हवन में हड्डी नहीं डालनी चाहिए', राम मंदिर पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर बरसे अमित शाह

'हवन में हड्डी नहीं डालनी चाहिए', राम मंदिर पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर बरसे अमित शाह

संसद में राम मंदिर पर चर्चा के दौरान शाह ने कहा कि जो देश को जानना चाहते हैं, जीना और पहचानना चाहते हैं, वो राम और रामचरितमानस के बिना जी नहीं सकते।

Amit Shah, Amit Shah Congress, Amit Shah Ram Temple- India TV Hindi Image Source : SANSAD TV SCREEN GRAB संसद में राम मंदिर पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह।

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र के आखिरी दिन ऐतिहासिक राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। अमित शाह ने कहा कि जो लोग राम के बिना भारत की कल्पना करते हैं वे भारत को नहीं जानते। गृहमंत्री ने कहा, ‘22 जनवरी का दिन सहस्त्रों वर्षों के लिए ऐतिहासिक बन गया है, जो इतिहास और ऐतिहासिक पलों को नहीं पहचानते, वो अपने अस्तित्व और वजूद को खो देते हैं। देश की कल्पना राम और रामचरितमानस के बिना नहीं की जा सकती है। जो देश को जानना चाहते हैं, जीना और पहचानना चाहते हैं, वो राम और रामचरितमानस के बिना जी नहीं सकते।’

‘हमारे गुजरात में एक कहावत है कि…’

इस दौरान अमित शाह ने राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने आज पूरी दुनिया में पंथनिरपेक्ष चरित्र को उजागर किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बना है।’ अमित शाह ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हमारे गुजरात में एक कहावत है कि हवन में हड्डी नहीं डालनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'जो लोग राम के बिना भारत की कल्पना करते हैं, वो भारत को नहीं जानते। b हमारे गुलामी के काल का प्रतिनिधित्व करते हैं, राम प्रतीक हैं कि करोड़ों लोगों के लिए आदर्श जीवन कैसे जीना चाहिए, इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है।’

‘कई देशों ने रामायण को स्वीकारा है’

शाह ने आगे कहा, ‘राम का राज्य किसी एक धर्म और समुदाय के विशेष के लिए नहीं है, राम का राज्य आर्दश राज्य कैसा होना चाहिए, इसका प्रतीक न केवल भारत बल्कि समग्र देशों के लिए बना हुआ है। कई देशों ने भी रामायण को स्वीकारा है और एक आदर्श ग्रंथ के रूप में प्रतिस्थापित किया है। विदेशों में नेपाल, इंडोनेशिया, कंबोडिया, तिब्बत इन सभी भाषाओं में रामायण का अनुवाद हुआ है और उससे प्रेरणा भी ली जाती है। मैं आज अपने मन की बात और देश की जनता की आवाज को इस सदन के सामने रखना चाहता हूं, जो वर्षों से कोर्ट के कागजों में दबी हुई थी। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उसे आवाज भी मिली और अभिव्यक्ति भी मिली।’ (IANS)

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