BJP Parliamentary Board Changed: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की निगाहें 2024 के लोकसभा चुनावों पर टिकी हैं और इसी के मद्देनजर वह संगठनात्मक मुद्दों एवं उभरती राजनीतिक चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी कई प्रदेश इकाइयों में अहम पदों पर बदलाव जारी रख सकती है। भाजपा की शीर्ष संगठनात्मक संस्था, संसदीय बोर्ड के हालिया बदलाव में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जगह नहीं मिलने की खबर भले ही अधिक सुर्खियों में रही हो, लेकिन भाजपा ने इसे सामाजिक और क्षेत्रीय रूप से अधिक प्रतिनिधित्व वाला बना दिया है। पहली बार, गैर-उच्च जातियां बोर्ड में बहुमत में हैं, क्योंकि पार्टी समाज के पारंपरिक रूप से कमजोर और पिछड़े वर्गों तक अपनी पहुंच जारी रखे हुए है।
इससे पहले भी हुए थे बदलाव
इससे पहले, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कई राज्यों में बदलाव किए थे और अब वह अपनी उत्तर प्रदेश इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं और बिहार में कुछ नए चेहरों को ला सकते हैं, जहां जनता दल (यूनाइटेड) (जद-यू) ने अपनी पारंपरिक सहयोगी भाजपा का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद)-कांग्रेस-वाम गठबंधन से हाथ मिला लिया। पिछले कुछ हफ्तों में भाजपा ने महाराष्ट्र, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की है और उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों में फेरबदल किया है।
अधिकतर राज्यों में जबरदस्त बढ़त हासिल की थी
सत्तारूढ़ दल ने 2019 में इनमें से अधिकतर राज्यों में जबरदस्त बढ़त हासिल की थी और पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में भी लाभ हासिल किया था। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के भविष्य को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं। आलोचकों ने राज्य में उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया है, जहां विपक्षी कांग्रेस एक मजबूत ताकत बनी हुई है लेकिन भाजपा ने अब तक किसी भी बदलाव से इनकार किया है। बी.एस. येदियुरप्पा उम्र के लिहाज से वरिष्ठ हैं, लेकिन शक्तिशाली लिंगायत नेता को संसदीय बोर्ड में शामिल करने का निर्णय इसके एकमात्र दक्षिणी गढ़ में अपनी सामाजिक पहुंच को तेज करने के भाजपा के निरंतर प्रयास को उजागर करता है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा का दबदबा बना हुआ है
उत्तर प्रदेश के संगठन महासचिव सुनील बंसल को राष्ट्रीय भूमिका देना राज्य के मामलों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा की स्वीकृति के बावजूद दोनों नेताओं में कई मुद्दों पर मतभेद के बीच बंसल की क्षमताओं में भरोसे को दर्शाता है। सूत्रों ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में राज्य सरकार के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह की जगह किसी नेता की नियुक्ति में पार्टी की पसंद में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण प्रभावी होंगे। पार्टी के एक नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा का दबदबा बना हुआ है और कहा कि उसके राष्ट्रीय नेतृत्व ने चुनावी सफलता के लिए हमेशा पार्टी की संगठनात्मक मशीनरी और राज्यों की सरकारों के बीच मजबूत समन्वय को प्राथमिकता दी है।
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