Bihar: बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने प्लेसमेंट पोर्टल के बदले केंद्र से अनुदान लेने के लिए नीतीश कुमार सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सिन्हा के मुताबिक, कोई पोर्टल नहीं बना, हालांकि सरकार से पोर्टल के नाम पर करोड़ों रुपये लिए गए। भाजपा नेता ने कहा कि 2016 में केंद्रीय कौशल विकास मंत्रालय ने बिहार सरकार को अगले तीन साल के लिए करोड़ों रुपये का अनुदान जारी किया था।
3 साल से प्लेसमेंट पोर्टल की व्यवस्था नहीं की गई
उन्होंने कहा, "बिहार कुशल युवा कार्यक्रम (केवाईपी) के तहत, राज्य श्रम संसाधन विकास विभाग ने पुणे स्थित एक कंपनी - एसकेसीएल को प्रशिक्षण और ज्ञान भागीदार के रूप में चुना था। यह प्रस्तावित किया गया था कि कंपनी को प्रशिक्षण के बाद युवाओं को रोजगार की जानकारी प्रदान करनी थी, लेकिन तीन साल से प्लेसमेंट पोर्टल की व्यवस्था नहीं की गई। पोर्टल नहीं बना, बल्कि सरकार से करोड़ों रुपये लिए गए।"
अधिकारियों ने केंद्र को लगातार गलत जानकारी दी
सिन्हा ने कहा, "कंपनी के पास विभिन्न कौशल पाठ्यक्रमों और पोर्टलों के बारे में जानकारी देने का काम था। श्रम विभाग के अधिकारियों ने केंद्र को लगातार गलत जानकारी दी और अनुदान लिया।" उन्होंने कहा, "श्रम विभाग ने पिछले पांच सालों में सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत को प्रशिक्षण दिया था और 2016 में केवाईपी के लिए भुगतान जारी किया गया था।"
बिना कार्य किए ही प्राप्त किए गए भुगतान
जबकि केवाईपी सेंटर को प्रशिक्षण पूर्ण करने पर भुगतान किया जाता है। सरकारी आदेश के बावजूद प्लेसमेंट पोर्टल के लिए गलत ढंग से भुगतान की गई। राशि की वसूली एमकेसीएल से नहीं किया गया है। एमकेसीएल के द्वारा गलत तरीके से बिना कार्य किए ही प्राप्त किए गए भुगतान की राशि वसूली करने, उसे काली सूची में डालने और दोषी पदाधिकारियों खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई थी।
जांच के लिए विशेष कमेटी बनाई गई थी
विजय सिन्हा ने कहा कि जब यह प्रश्न सदन में आया था तब विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी मैं संभाल रहा था। प्रश्न आने पर जांच के लिए विशेष कमेटी बनाई गई थी। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर उस विशेष कमेटी की रिपोर्ट सदन में पेश नहीं किया।
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