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Bihar Politics: बिहार के सियासी उलटफेर का यूपी में क्या होगा असर? आकलन में जुटी पार्टियां

Bihar Politics: अपना दल (एस) के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता राजेश पटेल ने दावा किया कि बिहार में बीजेपी से जेडीयू का गठबंधन टूटने से उत्तर प्रदेश के कुर्मी समाज पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।

Bihar Politics- India TV Hindi Image Source : PTI Bihar Politics

Highlights

  • यूपी में एक बड़ी आबादी कुर्मी समाज से है
  • बिहार की राजनीति अलग है: राजेश पटेल
  • उत्तर प्रदेश से नहीं जोड़ा जाना चाहिए: पटेल

Bihar Politics: बीजेपी नीत एनडीए से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलग होकर आरजेडी के साथ महागठबंधन की सरकार बनाने का उत्तर प्रदेश की राजनीति में क्या असर होगा, इसके लेकर राज्य की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों ने आकलन करना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की एक बड़ी आबादी कुर्मी समाज की राजनीति करने वाले अपना दल (एस) ने बुधवार को दावा किया कि इसका प्रदेश की राजनीति पर कोई असर नहीं होगा, जबकि समाजवादी पार्टी (SP) ने कहा है कि इससे राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुवाई में पिछड़ों की राजनीति करने वाले दल लामबंद होंगे। 

'कुर्मी समाज पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है'

अपना दल (एस) के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता राजेश पटेल ने दावा किया कि बिहार में बीजेपी से जेडीयू का गठबंधन टूटने से उत्तर प्रदेश के कुर्मी समाज पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि यहां पर उनका जनाधार नहीं के बराबर है। उन्होंने कहा, "बिहार की राजनीति अलग है और वहां की भौगोलिक व सामाजिक स्थिति भी भिन्न है। इसलिए उसे उत्‍तर प्रदेश से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।" नीतीश कुमार जिस कुर्मी समाज से आते हैं, उसी समाज से ताल्लुक रखने वाली केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाला अपना दल (एस) एनडीए का हिस्सा है। 

जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार के कुर्मी समाज से होने की वजह से राज्य की इस बिरादरी में उनके प्रति आकर्षण तो है, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनकी पार्टी जेडीयू अब तक कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी है। एक सवाल के जवाब में राजेश पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी और अपना दल (एस) का गठबंधन मजबूती से चलेगा और यहां नीतीश कुमार का कोई असर नहीं पड़ेगा। 

यूपी में कुर्मी बिरादरी की आबादी छह प्रतिशत

उत्तर प्रदेश में कुर्मी बिरादरी की आबादी छह प्रतिशत से ज्यादा है और प्रदेश के करीब 25 जिलों में इस बिरादरी के लोग चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। प्रदेश के महराजगंज, कुशीनगर, संतकबीरनगर, आजमगढ़, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, सीतापुर, बरेली, उन्‍नाव, जालौन, कानपुर, कानपुर देहात, अंबेडकरनगर, एटा, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत आदि जिलों की अधिकांश विधानसभा सीटों पर कुर्मी समाज निर्णायक चुनावी भूमिका निभाता रहा है। 

'उत्तर प्रदेश में भी गठबंधन की राजनीति मजबूत होगी'

कुर्मी समाज से ही आने वाले सपा के वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा ने कहा कि बीजेपी की नीतियों के खिलाफ लोगों में जो गुस्सा है, उसे अब एक नई दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा, "बीजेपी के खिलाफ बिहार में जेडीयू के महागठबंधन में शामिल होने से एक नई शुरुआत हुई है और निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश में भी गठबंधन की राजनीति मजबूत होगी।" उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव पिछड़ों के सबसे बड़े नेता हैं और उनके नेतृत्व में अन्य छोटी पार्टियां लामबंद होंगी। विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी (BSP) विधायक दल के नेता रह चुके, पूर्व मंत्री और मौजूदा समय में सपा के विधायक लालजी वर्मा ने एक सवाल के जवाब में दावा किया कि नीतीश कुमार के एनडीए छोड़ने का असर सिर्फ कुर्मी समाज पर ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के पूरे ओबीसी समुदाय पर होगा और यह वर्ग सपा मुखिया अखिलेश यादव के नेतृत्व में एकजुट होगा। 

Image Source : File PhotoAkhilesh Yadav

उत्तर प्रदेश में ओबीसी राजनीति, खासतौर से कुर्मी बिरादरी को लेकर बीजेपी की सक्रियता पहले से ही कुछ ज्यादा रही है। इस समाज से ताल्लुक रखने वाले पूर्व सांसद विनय कटियार और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह राज्‍य में पार्टी संगठन का नेतृत्व कर चुके हैं। मौजूदा समय में भी प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही राज्य सरकार में जल शक्ति मंत्री की दोहरी भूमिका निभा रहे स्‍वतंत्र देव सिंह कुर्मी समाज से ही आते हैं। कुर्मी समाज को साधने के लिए ही समाजवादी पार्टी ने भी अपने प्रदेश संगठन का नेतृत्व इसी समाज के नरेश उत्तम पटेल को सौंपा है। 

2022 के विधानसभा चुनाव में कुर्मी बिरादरी के 41 विधायक चुने गए

राज्य में कुर्मी समाज की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कुर्मी बिरादरी के 41 विधायक चुने गए, जिनमें 27 बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन से हैं। समाजवादी पार्टी की अगुवाई वाले गठबंधन से भी 13 कुर्मी उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधायक बने हैं। कुर्मी समाज से एक विधायक कांग्रेस पार्टी का भी है। उत्तर प्रदेश में कुर्मी समाज से बीजेपी के छह सांसद हैं, जिनमें महाराजगंज के पंकज चौधरी केंद्र सरकार में वित्‍त राज्‍य मंत्री हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंत्रिपरिषद में भी कुर्मी समाज को साधने की कोशिश की गई है। इसमें चार कुर्मी चेहरों को जगह दी गई है, जिनमें राकेश सचान, स्वतंत्र देव सिंह और अपना दल के आशीष पटेल कैबिनेट मंत्री हैं, जबकि संजय सिंह गंगवार राज्यमंत्री हैं। 

बीजेपी को 2014 के लोकसभा चुनाव से ही कुर्मी समाज की अगुवाई करने वाले अपना दल का साथ मिलता रहा

बीजेपी को 2014 के लोकसभा चुनाव से ही कुर्मी समाज की अगुवाई करने वाले अपना दल का साथ मिलता रहा है। अपना दल में दो फाड़ होने के बाद अपना दल (एस) का नेतृत्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल करती हैं, जबकि अपना दल (कमेरावादी) का नेतृत्व उनकी मां कृष्णा पटेल के हाथों में है। अपना दल (एस) इस समय राज्य में संख्या बल के हिसाब से तीसरे नंबर की पार्टी है और विधानसभा में इसके 12, विधान परिषद में एक और लोकसभा में दो सदस्य हैं। अपना दल में दो फाड़ होने के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपना दल (कमेरावादी) के साथ गठबंधन किया और पार्टी की उपाध्‍यक्ष पल्लवी पटेल को अपने चुनाव चिह्न पर सिराथू से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के खिलाफ विधानसभा चुनाव में उतारा। पटेल ने इस चुनाव में मौर्या को शिकस्त दी। 

गौरतलब है कि एनडीए में रहने के बावजूद जेडीयू ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उसे मात्र 0.11 प्रतिशत मत ही मिल सके थे। एक सीट छोड़कर बाकी सीटों पर उनके प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। नीतीश ने इस चुनाव में प्रचार नहीं किया था।

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