नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति में एक ताकतवर नेता के रूप में प्रसिद्ध बाल ठाकरे की आज पुण्यतिथि है। 17 नवंबर 2012 को मुंबई में उनका निधन हो गया था। एक समय था जब महाराष्ट्र की राजनीति में बाल ठाकरे की तूती बोलती थी। सीएम पद पर कोई भी बैठा हो लेकिन बाल ठाकरे अपना वर्चस्व हमेशा कायम रखते थे। उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम उनसे जुड़ा दिलचस्प किस्सा बता रहे हैं।
जब बाल ठाकरे ने की शैंपेन की मांग
सुजाता आनंदन ने बाल ठाकरे की जीवनी लिखी है, जिसका नाम 'हिंदू हृदय सम्राट- हाऊ द शिवसेना चेंज्ड मुंबई फ़ॉर एवर' है। इस किताब में बाल ठाकरे से जुड़े तमाम रोचक किस्से हैं। एक किस्से को लेकर सुजाता बताती हैं कि बाल ठाकरे को खुलेआम ये बताने में कोई हर्ज नहीं थी कि वह बीयर पीने और सिगार पीने के शौकीन थे। वह सार्वजनिक तौर पर शराब पी लेते थे।
वो 1995 का दौर था, जब उनकी पार्टी ने जीत हासिल की थी और इसको लेकर मुंबई के बहुत बड़े बिल्डर निरंजन हीरानंदानी के पिता डॉक्टर एल एच हीरानंदानी ने एक पार्टी आयोजित की थी। इस पार्टी में बाल ठाकरे ने कहा कि गले को तर करने के लिए भी कुछ इंतजाम कीजिए।
इस पर डॉक्टर हीरानंदानी ने कहा कि यहां पर तो सीएम मौजूद हैं। उनकी मौजूदगी में शराब कैसे परोस सकते हैं? इस पर बाल ठाकरे ने सीधा सीएम मनोहर जोशी से ही पूछ लिया, ''काए रे माना? तू पीतोस नाही का?' दरअसल बाल ठाकरे सीएम से ये पूछ रहे थे कि..ये क्या है मनोहर? तुम पीते नहीं हो क्या?
बाल ठाकरे की इस बेवाकी को देखकर सीएम अवाक रह गए थे। इसके बाद बाल ठाकरे ने डॉक्टर हीरानंदानी से कहा कि हमने अभी-अभी सरकार बनाई है। कम से कम 'शैंपेन' का तो इंतज़ाम होना चाहिए। इसके बाद फलों के जूस की पार्टी, शराब की पार्टी में बदल गई थी।
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