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Hindi News भारत राजनीति Anna Hazare Letter To CM Kejriwal: 'सत्ता के नशे में डूबे केजरीवाल, कथनी और करनी में फर्क', अन्ना हजारे ने पत्र लिखकर AAP पर साधा निशाना

Anna Hazare Letter To CM Kejriwal: 'सत्ता के नशे में डूबे केजरीवाल, कथनी और करनी में फर्क', अन्ना हजारे ने पत्र लिखकर AAP पर साधा निशाना

Anna Hazare Letter To CM Kejriwal: हजारे ने केजरीवाल के लिए अपने पत्र में लिखा कि आपके मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार मैं आपको खत लिख रहा हूं। पिछले कई दिनों से दिल्ली राज्य सरकार की शराब नीति के बारे में जो खबरें आ रही हैं, वह पढ़कर बड़ा दुख होता है।

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Highlights

  • आप लोकपाल आंदोलन की वजह से हमारे साथ जुड़े: अन्ना
  • आदर्श विचारधारा को भूल गए केजरीवाल, सत्ता के नशे में डूबे: हजारे
  • टीम अन्ना का उद्देश्य राजनीतिक पार्टी बनाना नहीं था: हजारे

Anna Hazare Letter To CM Kejriwal: सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है और उनकी शराब नीति की आलोचना की है। हजारे ने कहा कि आपने स्वराज नाम की किताब लिखी और इसकी प्रस्तावना मुझसे लिखवाई। मेरे गांव रालेगन सिद्धि आए, मेरे गांव में 35 साल से कोई शराब बिक्री नहीं है और ना ही तम्बाकू बिक्री है। इससे आप सिसोदिया खुश हुए लेकिन आज आप दिल्ली में क्या कर रहे हैं?

आपके सीएम बनने के बाद पहली बार लिख रहा हूं खत: हजारे

हजारे ने केजरीवाल के लिए अपने पत्र में लिखा कि आपके मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार मैं आपको खत लिख रहा हूं। पिछले कई दिनों से दिल्ली राज्य सरकार की शराब नीति के बारे में जो खबरें आ रही हैं, वह पढ़कर बड़ा दुख होता है। गांधीजी के ‘गांव की ओर चलो...’ इन विचारों से प्रेरित होकर मैंने अपना पूरा जीवन गांव, समाज और देश के लिए समर्पित किया है। पिछले 47 सालों से ग्राम विकास के लिए काम और भ्रष्टाचार के विरोध में जन आंदोलन कर रहा हूं।

महाराष्ट्र में 35 जिलों में 252 तहसील में संगठन बनाया। भ्रष्टाचार के विरोध में और व्यवस्था परिवर्तन के लिए लगातार आंदोलन किए। इस कारण महाराष्ट्र में 10 कानून बन गए। शुरू में हमने गांव में चलने वाली 35 शराब की भट्टियां बंद कीं। 

आप लोकपाल आंदोलन की वजह से हमारे साथ जुड़े: अन्ना

अन्ना ने पत्र में कहा कि आप लोकपाल आंदोलन के कारण हमारे साथ जुड़ गए। तब से आप और मनीष सिसोदिया कई बार रालेगणसिद्धी गांव में आ चुके हैं। गांववालों का किया हुआ काम आपने देखा है। पिछले 35 साल से गांव में शराब, बीड़ी, सिगरेट की बिक्री नहीं हैं। यह देखकर आप प्रेरित हुए थे। आप ने इस बात की प्रशंसा भी की थी।

राजनीति में जाने से पहले आपने ‘स्वराज’ नाम से एक किताब लिखी थी। इस किताब की प्रस्तावना आपने मुझसे लिखवाई थी। इस ‘स्वराज’ नाम की किताब में आपने ग्रामसभा, शराब नीति के बारे में बड़ी-बड़ी बातें लिखी थीं। किताब में आपने जो लिखा है, वह आप को याद दिलाना चाहता हूं। आपने लिखा था, 'वर्तमान समय में शराब की दुकानों के लिए राजनेताओं की सिफारिश पर अधिकारियों द्वारा लाइसेंस दे दिया जाता है। वे प्रायः रिश्वत ले कर लाइसेंस देते हैं। शराब की दुकानों की कारण भारी समस्याएं पैदा होती हैं। लोगों का पारिवारिक जीवन तबाह हो जाता हैं। विडम्बना यह है कि, जो लोग इससे सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं, उन्हें इस बात के लिए कोई नहीं पूछता कि क्या शराब की दुकान खुलनी चाहिए या नहीं? इन दुकानों को उनके ऊपर थोप दिया जाता है।'

हजारे ने कहा कि इसके सुझाव में आपने लिखा था शराब की दुकान खोलने का कोई लाइसेंस तभी दिया जाना चाहिए जब ग्राम सभा इसकी मंजूरी दे दे और ग्राम सभा की संबंधित बैठक में, वहां उपस्थित 90 प्रतिशत महिलाएं इसके पक्ष में मतदान करें। ग्राम सभा में उपस्थित महिलाएं साधारण बहुमत से मौजूदा शराब की दुकानों का लाइसेंस भी रद्द करा सकें।

आदर्श विचारधारा को भूल गए केजरीवाल, सत्ता के नशे में डूबे: हजारे

हजारे ने कहा कि आपने ‘स्वराज’ नाम की इस किताब में कितनी आदर्श बातें लिखी थी। तब आप से बड़ी उम्मीद थी। लेकिन राजनीति में जाकर मुख्यमंत्री बनने के बाद आप आदर्श विचारधारा को भूल गए हैं, ऐसा लगता है। इसलिए दिल्ली राज्य में आपकी सरकार ने नई शराब नीति बनाई। ऐसा लगता है कि इससे शराब की बिक्री और शराब पीने को बढ़ावा मिल सकता है। गली गली में शराब की दुकानें खुलवाई जा सकती हैं। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सकता है। यह बात जनता के हित में नहीं हैं। फिर भी आपने ऐसी शराब नीति लाने का निर्णय लिया है। इससे ऐसा लगता है कि जिस प्रकार शराब का नशा होता है, उस प्रकार सत्ता का भी नशा होता है। आप भी ऐसे सत्ता के नशे में डूब गए हो, ऐसा लग रहा है।

टीम अन्ना का उद्देश्य राजनीतिक पार्टी बनाना नहीं था: अन्ना

हजारे ने कहा कि 10 साल पहले 18 सितंबर 2012 को दिल्ली में टीम अन्ना के सभी सदस्यों की मीटिंग हुई थी। उस वक्त आप ने राजनीतिक रास्ता अपनाने की बात रखी थी। लेकिन आप भूल गए कि राजनीतिक पार्टी बनाना हमारे आंदोलन का उद्देश्य नहीं था। उस वक्त टीम अन्ना के बारे में जनता के मन में विश्वास पैदा हुआ था। इसलिए उस वक्त मेरी सोच थी कि टीम अन्ना के लिए देशभर में घूमकर लोकशिक्षण लोकजागृति का काम करना जरुरी था। अगर इस प्रकार लोकशिक्षण लोकजागृति का काम होता तो देश में कहीं पर भी शराब की ऐसी गलत नीति नहीं बनती।

आंदोलन का नुकसान करने बनी पार्टी बाकियों के जैसी: हजारे

हजारे ने कहा कि सरकार किसी भी पार्टी की हो, उसे जनहित में काम करने पर मजबूर करने के लिए समान विचारधारा वाले लोगों का एक प्रेशर ग्रुप होना जरूरी था। अगर ऐसा होता तो आज देश की स्थिति अलग होती और गरीब लोगों को लाभ मिलता। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाया। उसके बाद आप, मनीष सिसोदिया और आपके अन्य साथियों ने मिलकर पार्टी बनाई और राजनीति में कदम रखा। दिल्ली सरकार की नई शराब नीति को देखकर अब पता चल रहा हैं कि एक ऐतिहासिक आंदोलन का नुकसान कर के जो पार्टी बन गई, वह भी बाकी पार्टियों के रास्ते पर ही चलने लगी। यह बहुत ही दुख की बात हैं।

लोकपाल और लोकायुक्त कानून को भूले केजरीवाल: हजारे

हजारे ने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए ऐतिहासिक लोकपाल और लोकायुक्त आंदोलन हुआ। लाखों की संख्या में लोग रास्ते पर उतर आए। उस वक्त केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की जरुरत के बारे में आप मंच से बड़े बड़े भाषण देते थे। आदर्श राजनीति और आदर्श व्यवस्था के बारे में अपने विचार रखते थे। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद आप लोकपाल और लोकायुक्त कानून को भूल गए। इतना ही नहीं, दिल्ली विधानसभा में आपने एक सशक्त लोकायुक्त कानून बनाने की कोशिश तक नहीं की और अब तो आप की सरकार ने लोगों का जीवन बर्बाद करने वाली, महिलाओं को प्रभावित करने वाली शराब नीति बनाई है। इससे स्पष्ट होता है कि आपकी कथनी और करनी में फर्क हैं।

आंदोलन से पैदा हुई राजनीतिक पार्टी को यह बात शोभा नहीं देती: हजारे

हजारे ने कहा कि मैं यह पत्र इसलिए लिख रहा हूं कि, हमने पहले रालेगणसिद्धि गांव में शराब को बंद किया। फिर कई बार महाराष्ट्र में एक अच्छी शराब की नीति बने इसलिए आंदोलन किए। आंदोलन के कारण शराबबंदी का कानून बन गया। जिसमें किसी गांव तथा शहर में अगर 51 प्रतिशत महिलाएं शराबबंदी के पक्ष में वोटिंग करती हैं, तो वहां शराबबंदी हो जाती हैं। दूसरा ग्रामरक्षक दल का कानून बन गया। जिसके माध्यम से महिलाओं की मदद में हर गांव में युवाओं का एक दल गांव में अवैध शराब के विरोध में कानूनी अधिकार के साथ कार्रवाई कर सकता है।

हजारे ने कहा कि इस कानून के तहत अमल न करने वाले पुलिस अधिकारी तथा एक्साइज अधिकारी पर भी कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया है। दिल्ली सरकार द्वारा भी इस प्रकार की नीति की उम्मीद थी। लेकिन आप ने ऐसा नहीं किया। लोग भी बाकी पार्टिंयों की तरह पैसा से सत्ता और सत्ता से पैसा के दुष्टचक्र में फंसे हुए दिखाई दे रहे हैं। एक बड़े आंदोलन से पैदा हुई राजनीतिक पार्टी को यह बात शोभा नहीं देती।

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