अमरावती: आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने राज्य के वक्फ बोर्ड की मौजूदा बॉडी को भंग कर दिया है और अब नए सिरे से इसका गठन होगा। सरकार ने जीओ-47 को वापस ले लिया है। राज्य के न्याय एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री फारूक ने कहा है कि यह निर्णय राज्य उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार लिया गया है।
फारूक ने और क्या कहा?
मंत्री फारूक ने कहा कि गठबंधन सरकार ने पिछली सरकार के शासनकाल में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा जारी वक्फ बोर्ड जीओ नंबर 47 को वापस लेने का आदेश जारी कर दिया है। बताया गया है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने पिछली सरकार के दौरान जारी जीओ को रद्द करते हुए जीओ नंबर 75 जारी कर दिया है।
21 अक्टूबर 2023 को तत्कालीन सरकार ने वक्फ बोर्ड के गठन के लिए जीओ नंबर 47 नामांकन जारी किया था। रूहुल्लाह (एमएलसी), हाफ़िज़ खान (एमएलए), शेख खाज़ा, नामित सदस्य कादिर बाशा, मीरा हुहसेन, शफी अहमद कादरी, शेरीन बेगम (आईपीएस), बराकत अली, जय नजीर बाशा, पाटन शफी अहमद, हसीना बेगम के साथ वक्फ बोर्ड का गठन किया था।
लेकिन कुछ लोगों ने इन नियुक्तियों के तरीके को लेकर राज्य उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने 1 नवंबर 2023 को अंतरिम आदेश जारी कर वक्फ बोर्ड चेयरमैन की चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। इसके कारण, विभिन्न कानूनी मुद्दे पैदा हो गए हैं और वक्फ बोर्ड में एक प्रशासनिक शून्यता आ गई है।
इस समस्या को हल करने के लिए, गठबंधन सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले पर विचार किया और पिछली सरकार द्वारा जारी विवादास्पद जीओ-47 को रद्द कर दिया और नया जीओ-75 जारी किया है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद फारूक ने कहा कि सीएम चंद्रबाबू के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संरक्षण और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और सरकार उस दिशा में कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार से ही अल्पसंख्यकों का कल्याण संभव है।
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