नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। एक तरफ जहां चाचा शिवपाल यादव उनसे नाराज बताए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पार्टी के कुछ मुस्लिम नेताओं में भी असंतोष के स्वर देखने को मिले हैं। विधान परिषद चुनावों में मिली हार ने भी उनको बड़ा झटका दिया है। इस बीच अखिलेश की मुश्किलों में इजाफा करते हुए मुसलमानों के एक बड़े संगठन ऑल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम ने मुसलमानों से कहा है कि वे समजवाद पार्टी को छोड़कर दूसरे विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दें।
मुसलमानों ने जमकर दिया था अखिलेश का साथ
बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान मुसलमानों ने अखिलेश यादव का जमकर साथ दिया था, इसके बावजूद पार्टी सत्ता से दूर रह गई थी। ऑल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने कहा है कि यूपी विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद मुसलमान मायूस हैं और तमाम उपायों के बावजूद धर्मनिरपेक्ष दल कही जाने वाली पार्टियां फिरकापरस्त ताकतों को सत्ता से हटाने में नाकाम रही हैं। उन्होंने कहा कि तब से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि मुसलमानों का भविष्य क्या होगा?
‘मुसलमानों को अब एक नई रणनीति बनानी चाहिए’
ऑल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम के मुताबिक, मुसलमानों को अब धर्मनिरपेक्षता का ठेका लेना बंद कर देना चाहिए और अपनी राजनीति और अपनी भागीदारी के बारे में नये सिरे से बात करनी चाहिए। बयान के मुताबिक, जब तक कि वे किसी एक खास पार्टी के सहारे जीते हैं, उन्हें कुछ नहीं मिलेगा, बल्कि मुसलमानों को अब नई रणनीति बनानी चाहिए। मौलाना ने कहा, ‘अब नए हालात हैं, समाजवादी पार्टी के अलावा दूसरे विकल्पों पर विचार करना चाहिए और किसी भी पार्टी के खिलाफ मुखर होकर दुश्मनी मोल नहीं लेनी चाहिए।’
‘मुसलमान सपा के अलावा विकल्पों पर विचार करें’
मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने कहा, ‘मैंने चुनाव के दरमियान मुसलमानों को अगाह करते हुए बताया था कि अखिलेश यादव मुसलमानों के हितैषी नहीं है। इन्होंने हर जगह बड़े मुस्लिम चेहरों को पीछे रखने की कोशिश की और अकेले चुनाव प्रचार करते रहे। उनके पिता की पार्टी और उनकी पार्टी में बहुत अंतर है इसलिये मुसलमान विकल्पों पर विचार विमर्श करें।’ बता दें कि पिछले कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी के मुस्लिम नेताओं की भी अखिलेश से नाराजगी की खबरें सामने आई हैं जिनमें आजम खान और शफीकुर्रहमान बर्क जैसे नेता शामिल हैं।
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