वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर एआईएमआईएम के पूर्व विधायक वारिस पठान ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हम तो पहले से बोलते हैं। हमको पहले से ही भाजपा और आरएसएस की नीयत में खोट लगती है। इन्हें हमारी हर चीज से नफरत है। हमारी मस्जिद से नफरत, नमाज से नफरत, मदरसे से नफरत और हिजाब से नफरत। अब यह वक्फ बोर्ड को लेकर आ गए हैं। वक्फ एक्ट 1995 मौजूद है। 2013 में उसमें संसोधन हो चुका है, फिर भी उसमें संसोधन लाकर किसी तरह से वक्फ की इतनी प्रॉपर्टी है जो मुसलमान के लिए है। उसे कैसे कम किया जाए, उसे कैसे हासिल किया जाए।
वक्फ की संपत्ति का कुछ नहीं कर सकते
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कहा है कि once a waqf will always be waqf। न उसे बेच सकते हो न थर्ड पार्टी उसपर अपना अधिकार कर सकती है। कुछ नहीं कर सकते। हमारे कई सारे बुजुर्गों ने संपत्ति को वक्फ को दान में दिया। उसपर मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान बनी है। जब कोई शख्स अपनी संपत्ति को वक्फ करता है तो उसकी कई सारी सरकारी प्रक्रियाएं होती हैं। उसके बाद सरकार का गैजेट आथा है फिर नोटिफिकेशन निकलता है। लेकिन उसपर भी भाजपा और आरएसएस को दखलअंदाजी करना है।
वक्फ की संपत्ति हासिल करना चाहती है सरकार
वारिस पठान ने कहा कि साल 2022 में सरकार ने जब सर्वे का निटिफिकेशन निकाला था, हमने तब भी इसका विरोध किया था कि इनकी नीयत में खोट है। इनकी नियमत है हमारी प्रॉपर्टी को हासिल करना। इनकी यही नीयत थी और अब यह जा रहे हैं संसद में बिल लाने। देखते हैं संसद में क्या होता है। लेकिन इतनी जो मदरसे और मस्जिदें हैं, जो मीडिया से सुना है कि इन सब कितनों पर विवाद है। यह जानने के लिए हो रहा है। अगर किसी संपत्ति पर विवाद है तो उसका निर्णय कोर्ट करेगा। आप न्यायालय की शक्ति और वक्फ बोर्ड को क्यों कमजोर करना चाहते हैं। इसका मतलब है कि आप वक्फ की संपत्ति हासिल करना चाहते हैं। देखते हैं संसद में क्या बिल आता है। उनपर फिर बात करेंगे।
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